कोच श्रीजेश का सबसे बड़ा खुलासा: '4 वर्ल्ड कप खेला पर मेडल नहीं, अब टीम को वहां पहुंचाना है'

भारतीय हॉकी के दिग्गज गोलकीपर और पूर्व कप्तान पीआर श्रीजेश, पेरिस ओलंपिक 2024 में कांस्य पदक जीतने के बाद अब जूनियर हॉकी टीम के कोच बन गए हैं. एक विशेष साक्षात्कार में, श्रीजेश ने भारतीय हॉकी के 100 साल पूरे होने पर अपनी यात्रा और भविष्य पर बात की, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के 'जब हॉकी का मेडल आता है, तो वो अपना फील होता है' कथन का जिक्र था. श्रीजेश ने ग्रास ग्राउंड से एस्ट्रोटर्फ में बदलाव को भारतीय हॉकी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया. उन्होंने 2008 में ओलंपिक क्वालिफाई न कर पाने से लेकर टोक्यो और पेरिस में कांस्य पदक जीतने तक के सफर को टीम के अथक परिश्रम का परिणाम बताया. बतौर कोच, उनका सबसे बड़ा लक्ष्य नवंबर 2025 में शुरू होने वाले जूनियर वर्ल्ड कप में टीम को जीत दिलाना है, क्योंकि खिलाड़ी के तौर पर वे कभी वर्ल्ड कप मेडल नहीं जीत पाए थे. इस बातचीत में 2036 ओलंपिक की मेजबानी और भारतीय हॉकी के भविष्य पर चर्चा हुई, साथ ही युवाओं को सपने देखने और मेहनत करने का संदेश दिया.

Profile

SportsTak

अपडेट:

भारतीय हॉकी के दिग्गज गोलकीपर और पूर्व कप्तान पीआर श्रीजेश, पेरिस ओलंपिक 2024 में कांस्य पदक जीतने के बाद अब जूनियर हॉकी टीम के कोच बन गए हैं. एक विशेष साक्षात्कार में, श्रीजेश ने भारतीय हॉकी के 100 साल पूरे होने पर अपनी यात्रा और भविष्य पर बात की, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के 'जब हॉकी का मेडल आता है, तो वो अपना फील होता है' कथन का जिक्र था. श्रीजेश ने ग्रास ग्राउंड से एस्ट्रोटर्फ में बदलाव को भारतीय हॉकी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया. उन्होंने 2008 में ओलंपिक क्वालिफाई न कर पाने से लेकर टोक्यो और पेरिस में कांस्य पदक जीतने तक के सफर को टीम के अथक परिश्रम का परिणाम बताया. बतौर कोच, उनका सबसे बड़ा लक्ष्य नवंबर 2025 में शुरू होने वाले जूनियर वर्ल्ड कप में टीम को जीत दिलाना है, क्योंकि खिलाड़ी के तौर पर वे कभी वर्ल्ड कप मेडल नहीं जीत पाए थे. इस बातचीत में 2036 ओलंपिक की मेजबानी और भारतीय हॉकी के भविष्य पर चर्चा हुई, साथ ही युवाओं को सपने देखने और मेहनत करने का संदेश दिया.

    यह न्यूज़ भी देखें

    Share