भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल की मेजबानी का सपना टूट सकता है. इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) आगे भी इस मुकाबले को इंग्लैंड में ही कराने पर विचार कर रही है. 2011 में पहली बार डब्ल्यूटीसी फाइनल हुआ था और तब से यह मैच इंग्लैंड में ही हो रहा है. सबसे पहले साउथैंप्टटन, 2023 में दी ओवल और अब 2025 में लॉर्ड्स के पास इसकी मेजबानी है. कहा जा रहा है कि अगली तीन डब्ल्यूटीसी फाइनल भी इंग्लैंड के मैदानों में ही कराए जा सकते हैं.
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बीसीसीआई ने कुछ महीनों पहले आईसीसी से कहा था कि वह डब्ल्यूटीसी फाइनल कराना चाहता है. इसके तहत 2027 के मुकाबले की मेजबानी से मिलनी चाहिए. बीसीसीआई के पूर्व सेक्रेटरी जय शाह अभी आईसीसी चेयरमैन हैं. ऐसे में माना जा रहा था कि भारत अगले डब्ल्यूटीसी फाइनल की मेजबानी कर सकता है. लेकिन समझा जाता है कि ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के बीच 2025 के फाइनल में जिस तरह से फैंस उमड़े और जिस तरह का माहौल लॉर्ड्स में दिखा उसे देखते हुए आईसीसी बीसीसीआई को मेजबानी देने से परहेज कर सकता है.
जून का महीना, भारत-पाकिस्तान के रिश्ते बन सकते हैं वजह
जून में इस चैंपियनशिप का फाइनल होता है. उस महीने में इंग्लैंड के अलावा कहीं और क्रिकेट नहीं होता है. भारत की दावेदारी के पिछड़ने की एक वजह पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते भी माने जा रहे हैं. भारत और पाकिस्तान के रिश्ते तनावभरे हैं. दोनों एक दूसरे के यहां दौरा नहीं करते. अगर पाकिस्तान ने फाइनल में जगह बनाई तब भारत में फाइनल होना बहुत मुश्किल होगा.
जुलाई में WTC Final के मेजबान पर लगेगी मुहर
जय शाह खुद भी डब्ल्यूटीसी फाइनल 2025 के लिए लॉर्ड्स में मौजूद हैं. ब्रिटिश अखबार The Guardian की रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई के महीने में डब्ल्यूटीसी फाइनल की मेजबानी को लेकर सिंगापुर में आईसीसी की मीटिंग होनी है. उसमें इंग्लैंड को ही मेजबान रखे जाने पर मुहर लग सकती है. अगर ऐसा होता है तो 2031 तक डब्ल्यूटीसी फाइनल इंग्लैंड में ही होंगे. अगली साइकल के फाइनल के लिए मैनचेस्टर का नाम चल रहा है.
अभी तक भारत के अलावा किसी और देश ने डब्ल्यूटीसी फाइनल की मेजबानी के लिए दावा पेश नहीं किया है. ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका में जून के महीने में क्रिकेट नहीं होता है. न्यूजीलैंड का भी ऐसा ही हाल है. श्रीलंका में अभी बारिश का समय होता है. वेस्ट इंडीज और पाकिस्तान में दर्शकों का किसी न्यूट्रल मैच के लिए मैदान तक आना असामान्य बात है.
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