FIFA World Cup : 4000 किलोमीटर तक कार लेकर केरल से कतर पहुंची ये महिला, मेसी को देखना है सपना

कतर में खेले जाने फीफा वर्ल्ड कप 2022 (FIFA World Cup 2022) का खुमार पूरी दुनिया के फुटबॉल फैंस पर सिर चढ़कर बोल रहा है.

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कतर में खेले जाने फीफा वर्ल्ड कप 2022 (FIFA World Cup 2022) का खुमार पूरी दुनिया के फुटबॉल फैंस पर सिर चढ़कर बोल रहा है. हर कोई अपने पसंदीदा फुटबॉल खिलाड़ी को वर्ल्ड कप के मैदान पर खेलते देखने के लिए बेताब है. इसी कड़ी में भारत के केरल राज्य से अर्जेंटीना के स्टार खिलाड़ी लियोनल मेसी की दीवानी महिला ने अजीबो-गरीब कारनामा करके दिखाया है. केरल की रहने वाली पांच बच्चों की मां नाजी नौशी ने भारत से अपनी एसयूवी कार को पहले ओमान पहुंचाया और फिर वहां से इसके जरिए क़तर पहुंची. इस तरह केरल से कतर तक की दूरी करीब 4 हजार किलोमीटर है और अब उन्होंने ख़ास इंटरव्यू में अपने सफर को बयां किया है.

 

15 अक्टूबर को शुरू किया था सफर 
‘खलीज टाइम्स’ अखबार की खबर के अनुसार पांच बच्चों की मां नाजी नौशी ने केरल से 15 अक्टूबर को खाड़ी देशों का सफर शुरू किया और संयुक्त अरब अमीरात पहुंची. 33 साल की ये महिला मेसी की दीवानी है और उन्हें देखने के लिए उसने केरल से कतर तक का सफर तय किया. नौशी का कहना है कि वह वर्ल्ड कप के दौरान बस मेसी को खेलते हुए देखना चाहती हैं. हालांकि मेसी की टीम को पहले मैच में सऊदी अरब के खिलाफ उलटफेर का शिकार होना पड़ा था. जिससे नौशी का दिल भी टूट गया था. मगर अब वह दूसरे मैच में मेसी को खेलते देखने के लिए काफी उत्साहित भी हैं.

 

नौशी ने आगे कहा, "उन्होंने अपनी 'एसयूवी’ को मुंबई से ओमान पहुंचाया. और संयोग से यह दायें हाथ की ओर ‘स्टीयरिंग’ वाली गाड़ी देश में भेजी जाने वाली पहली भारतीय पंजीकृत कार है. मस्कट से सडक मार्ग द्वारा अपनी यात्रा शुरू की और हाटा बॉर्डर से अपनी एसयूवी में यूएई पहुंची. इस दौरान वह दुबई में स्थित दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा देखने भी ठहरी."

 

नौशी के कार में ही है रसोई 
नौशी के कार की बात करें तो उनकी एसयूवी के अंदर ही रसोई और उसकी छत से एक टेंट भी जुड़ा हुआ है. नौशी ने बाहर का खाना ना खाने के लिए अपनी कार में ही चावल, पानी, आटा, मसाले और अन्य सूखी चीजें रखी हुई हैं. उन्होंने कहा, "मैं खुद ही खाना बनाने की कोशिश करती हूं. इससे निश्चित रूप से पैसा बचता है और ‘फूड प्वाजनिंग’ का भी जोखिम कम रहता है.’’

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