भारतीय महिला हॉकी टीम चीन के खिलाफ शनिवार को होने वाले मैच में जीत हासिल करके लगातार छह हार के सिलसिले को तोड़कर एफआईएच प्रो लीग से बाहर होने से बचना चाहेगी. भारतीय महिला टीम इस समय 14 मैचों में 10 अंकों के साथ नौ टीमों की पॉइंट टेबल में सबसे निचले पायदान पर है और उस पर 2026 में दूसरी श्रेणी के एफआईएच नेशंस कप में खिसकने का खतरा मंडरा रहा है.
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हॉकी इंडिया ने जब हरेंद्र सिंह को फिर से टीम का हेड कोच नियुक्त किया था, तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि टीम इस स्थिति में पहुंच जाएगी, लेकिन इस साल के शुरू में घरेलू चरण में उम्मीदों के मुताबिक अच्छा प्रदर्शन करने वाली भारतीय महिला टीम टूर्नामेंट के यूरोपीय चरण में ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और बेल्जियम (एक प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ दो मैच) के खिलाफ लगातार छह मैच हार गई.
करो या मरो मुकाबला
भारत टीम की कोशिश अब अब शनिवार और रविवार को चौथे स्थान पर काबिज चीन के खिलाफ लगातार दो मैचों में जीत के साथ अपने प्रो लीग अभियान का सकारात्मक अंत करने की होगी. भारतीय टीम को भले ही लगातार छह हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन उसने यहां अच्छी और आक्रामक हॉकी खेली,लेकिन शुरुआत में मिले मौकों का फायदा उठाने और पेनल्टी कॉर्नर को भुनाने में असफल रहने के कारण टीम को हार का सामना करना पड़ा. दीपिका पर पेनल्टी कॉर्नर पर गोल करने का बहुत अधिक दबाव था, जिससे उनका खेल प्रभावित हुआ.
भारतीय मिडफील्ड ने हालांकि अच्छा प्रदर्शन किय. सलीमा टेटे, लालरेमसियामी, शर्मिला देवी, सुनलिता टोप्पो, वैष्णवी विट्ठल फाल्के और नेहा जैसी खिलाडि़यों ने अग्रिम पंक्ति के लिए पर्याप्त मौके बनाए, लेकिन स्ट्राइकरों ने भारत को निराश किया क्योंकि नवनीत, दीपिका, बलजीत कौर और अन्य खिलाड़ियों को गोल करने के लिए संघर्ष करना पड़ा. डिफेंस में सुशीला चानू, ज्योति, इशिका चौधरी, ज्योति छेत्री और सुमन देवी तौदाम ने कई गलतियां की जिसका टीम को खामियाजा भुगतना पड़ा. भारतीय टीम को अगर चीन के खिलाफ दोनों मैच में जीत हासिल करनी है तो उसे गलतियों से बचकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा.
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