'2 साल में 40 कप्तान...', धाकड़ खिलाड़ी ने पाकिस्तानी क्रिकेट की बखिया उधेड़ी, बोले- खिलाड़ी प्यादों की तरह इस्तेमाल हो रहे

'2 साल में 40 कप्तान...', धाकड़ खिलाड़ी ने पाकिस्तानी क्रिकेट की बखिया उधेड़ी, बोले- खिलाड़ी प्यादों की तरह इस्तेमाल हो रहे
पाकिस्तान क्रिकेट टीम बुरे हाल से गुजर रही है.

Highlights:

पाकिस्तान क्रिकेट टीम पिछले डेढ़ साल से बुरे दौर से गुजर रही है.

पाकिस्तान वर्ल्ड कप 2023 और टी20 वर्ल्ड कप 2024 में बुरी तरह नाकाम रही.

पाकिस्तान क्रिकेट टीम पिछले कुछ सालों से खराब प्रदर्शन के चलते निशाने पर हैं. भारत में खेले गए वर्ल्ड कप में टीम लीग स्टेज से ही बाहर हो गई. इसके बाद जून 2024 में ग्रुप स्टेज से उसे बाहर होना पड़ा. यहां पर अमेरिका से भी उसे हार का सामना करना पड़ा. अब बांग्लादेश के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में भी उसकी पोल खुल गई. रावलपिंडी में खेले गए पहले टेस्ट में हार मिली. दूसरे में भी वह हार की कगार पर है. इस बीच लगातार कप्तानों की अदलाबदली देखने को मिली. इन सबके बारे में पाकिस्तान के पूर्व कप्तान राशिद लतीफ ने बताया कि उनके यहां स्थायित्व नहीं है जिसकी वजह से ऐसा हाल हो रखा है.

 

स्पोर्ट्स तक से बातचीत में लतीफ ने कहा कि बोर्ड खिलाड़ी को प्यादों की तरह इस्तेमाल कर रहा है. जो भी नया पीसीबी चीफ बनता है वह अपने पसंद के खिलाड़ी लाता है. पसंद का कप्तान बनाता है. इससे टीम के खेल पर असर पड़ता है. उन्होंने कहा,

 

खिलाड़ी बंटे हुए लगते हैं. एक साल-डेढ़ साल पहले की तुलना में टीम बदली हुई है. लेकिन खिलाड़ी लगभग वही रहते हैं. तो फिर क्या वजह है. मैं इसके लिए बोर्ड को दोष देता हूं. हम लोग तो शतरंज के मोहरे होते हैं. खिलाड़ी तो मासूम होते हैं. हम प्यादों की तरह इस्तेमाल होते हैं. कभी बादशाह बना दिया जाता है. राशिद लतीफ कप्तान बादशाह हो गए. बादशाह यूज हो रहा है. शान मसूद बादशाह हो गए लेकिन वह शाहीन अफरीदी को निकालने के लिए यूज हो रहे हैं. नसीम शाह को प्लेइंग इलेवन में नहीं रखने के लिए वह यूज हो गए. लेकिन बोर्ड कामयाब हो गए. हम प्यादे होते हैं और जो कप्तान बनते हैं वे वजीर या बादशाह हैं. इससे पहले शाहीन इस्तेमाल हो गए, उनसे पहले शादाब (खान) इस्तेमाल हो गए.

 

राशिद लतीफ ने बोर्ड को ठहराया बुरे हाल का जिम्मेदार

 

लतीफ ने कहा कि पाकिस्तान क्रिकेट में चेयरमैन बदलने के हिसाब से होने वाले बदलाव बंद होने चाहिए. उन्होंने भारत और ऑस्ट्रेलिया की मिसाल देते हुए कहा कि वहां पर टीम में स्थायित्व रहता है. कप्तान तुरत-फुरत नहीं बदलते हैं. उन्होंने कहा,

 

ऑस्ट्रेलिया में बॉब सिम्पसन के बाद इयान चैपल, ग्रेग चैपल, फिर एलन बॉर्डर, फिर मार्क टेलर, स्टीव वॉ, रिकी पोंटिंग, माइकल क्लार्क कप्तान बनते हैं. तो यह एक सिलसिला रहताा है. बॉल टेम्परिंग हुई तो (स्टीव) स्मिथ हट गए और पैट कमिंस आ गए. यह उनके 40 साल की कहानी है. भारत में कपिल देव, दिलीप वेंगसरकर, सुनील गावस्कर के बाद मोहम्मद अजहरुद्दीन, सौरव गांगुली बनते हैं. सचिन तेंदुलकर नहीं कामयाब होते हैं तो हट जाते हैं. फिर राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग होते हैं. गांगुली के बाद मुख्य बदलाव के रूप में एमएस धोनी, विराट कोहली आते हैं. अब रोहित शर्मा हैं. यह भी 40 साल की अवधि है. हमारे यहां दो साल में इतने सारे कप्तान आ जाते हैं. यही कारण है कि हम इंटरनेशनल क्रिकेट में आगे नहीं जा पाते. हमारे यहां राजनीतिक हालात ऐसे है कि कौन आएगा, कौन जाएगा कुछ नहीं पता. सरकार बदली तो चेयरमैन बदल गया. चेयरमैन बदला तो कप्तान बदल गया. यह दुर्भाग्य हैं.  

 

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