अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की सोमवार (10 जुलाई) से होने वाली सालाना बोर्ड बैठक के दौरान भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) को 231 मिलियन डॉलर (लगभग 19 अरब रुपये) के हिस्से को मंजूरी मिलना लगभग तय है. डरबन में इस चार दिवसीय बैठक के दौरान वनडे के भविष्य (खास कर द्विपक्षीय सीरीज) और किसी खिलाड़ी के द्वारा टी20 लीग में भागीदारी की सीमा पर भी चर्चा होगी. इस दौरान सदस्यों को अगले साल वेस्ट इंडीज और अमेरिका में होने वाले आईसीसी टी20 विश्व कप की तैयारियों के बारे में अपडेट मिलने की भी उम्मीद है.
इस बैठक का सबसे बड़ा मुद्दा राजस्व कर वितरण है. भारत को 2024-2027 के बीच की अवधि के लिए आईसीसी के 600 मिलियन डॉलर (लगभग 49.5 अरब रुपये) के वार्षिक राजस्व से 38.5 प्रतिशत (230 मिलियन डॉलर वार्षिक) का बड़ा हिस्सा मिलने का प्रस्ताव है. पड़ोसी देश पाकिस्तान को इस पर कुछ आपत्ति है लेकिन यह समझा जाता है कि इसे बिना किसी परेशानी के बोर्ड की मंजूरी मिल जाएगी. आईसीसी की वित्तीय और वाणिज्यिक मामलों (एफ एंड सीए) समिति इसकी मंजूरी देगी और इसके बाद निदेशक मंडल की बैठक में यह महज औपचारिकता भर होगा.
सभी देशों के बढ़े हैं पैसे
आईसीसी बोर्ड के एक सदस्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘अगर कोई प्रतिशत को आधार बना कर देखें तो राजस्व वितरण अनुचित लग सकता है, जिसमें भारत को 38.5 प्रतिशत और ईसीबी (इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड) को 6.89 प्रतिशत और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को 6.25 प्रतिशत मिलेगा. इस राजस्व को प्रतिशत की जगह मात्रा के नजरिए से देखना चाहिए. सदस्य देशों को पिछले आठ सालों में जो रकम मिली है यह उसकी तुलना में काफी अधिक है. इंग्लैंड का हिस्सा 41 मिलियन डॉलर (लगभग 3.3 अरब रुपये) है जबकि पिछले चक्र में उसे 16 मिलियन डॉलर (लगभग 1.32 अरब रुपये) मिले थे. इसी तरह एसोसिएट देशों को 22 मिलियन डॉलर की जगह 67 मिलियन डॉलर मिलेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘इस प्रतिशत की गणना क्रिकेट रैंकिंग, आईसीसी टूर्नामेंटों में प्रदर्शन और खेल में व्यावसायिक योगदान पर आधारित है. भारत खेल के व्यावसायिक पहलू में महत्वपूर्ण योगदान देता है.’ जब उन से पूछा गया कि क्या अन्य सदस्य देशों को वितरण असमान लगता है, उन्होंने जवाब दिया, ‘असमानता का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि राजस्व की मात्रा बढ़ गई है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ ही बीसीसीआई उसी राजस्व से अधिक पैसा ले रहा है.’
आईसीसी बैठक का कार्यक्रम
सोमवार: एसोसिएट सदस्य देशों की बैठक.
मंगलवार: मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की बैठक.
बुधवार: वित्तीय और वाणिज्यिक मामले (एफ एंड सीए) से जुड़े अधिकारियों की बैठक.
गुरुवार: निदेशक मंडल की बैठक और एजीएम.
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