पाकिस्तान क्रिकेट टीम को हाल ही में बांग्लादेश के हाथों टेस्ट में हार का सामना करना पड़ा. यह उसकी इस टीम के सामने टेस्ट में पहली हार रही. 25 अगस्त को पाकिस्तानी टीम को यह शर्म घर में अपनों के सामने झेलनी पड़ी. अगस्त का महीना पाकिस्तान क्रिकेट के लिए अच्छा नहीं रहा है. 28 अगस्त इसके इतिहास की सबसे कलंकित तारीख है. 14 साल पहले इसी दिन सामने आया था कि पाकिस्तान और इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स में जो टेस्ट खेला जा रहा था उसकी फिक्सिंग को लेकर जांच की जा रही थी. पाकिस्तानी टीम के तीन खिलाड़ी शक के घेरे में थे और इनमें से एक शख्स कप्तान था. ब्रिटेन के एक अखबार ने पाकिस्तानी व्यक्ति मजहर मजीद के हवाले से दावा किया कि उसने पाकिस्तानी गेंदबाजों को नो बॉल फेंकने के लिए पैसे दिए. इसके बाद भूचाल आ गया. आगे चलकर यह दावा सही निकला और पाकिस्तानी क्रिकेट में स्पॉट फिक्सिंग का दाग लग गया.
The News of the World अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया कि पाकिस्तानी टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद आमिर और मोहम्मद आसिफ ने नो बॉल फेंकने के लिए पैसे लिए. मजीद ने इसके लिए 1.50 लाख पाउंड का बंदोबस्त किया. उसने आमिर और आसिफ दोनों को तय समय पर नो बॉल फेंकने को कहा. रिपोर्ट में कप्तान सलमान बट, विकेटकीपर कामरान अकमल के साथ ही तीन और क्रिकेटर्स को शामिल बताया गया. रिपोर्ट सामने आने के बाद जांच शुरू कर दी गई जिसमें स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस के साथ ही इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल की एंटी करप्शन यूनिट शामिल थी. तीनों आरोपी पाकिस्तानी क्रिकेटर्स को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया. इन्होंने इसके खिलाफ अपील की लेकिन सुनवाई में खारिज हो गई.
आमिर ने 2016 में की पाकिस्तानी टीम में वापसी
फरवरी 2011 में आमिर, आसिफ और बट को क्रिकेट से बैन कर दिया गया. आमिर को पांच, आसिफ को सात और बट पर 10 साल का बैन लगा. तीनों क्रिकेटर सितंबर 2015 तक खेल से दूर हो गए. वहीं नवंबर 2011 में आमिर ने हालांकि बाद में इंटरनेशनल क्रिकेट में 2016 में वापसी की. उन्होंने लॉर्ड्स टेस्ट के जरिए ही फिर से पाकिस्तानी टीम में कदम रखा. वहीं बट और आसिफ दोबारा पाकिस्तान के लिए नहीं खेल पाए. स्पॉट फिक्सिंग का यह मामला 1999 फिक्सिंग केस के बाद सबसे बड़ा था.
ये भी पढ़ें