पिछले कुछ सालों में कई युवा खिलाड़ियों ने अपने टैलेंट से टीम इंडिया में जगह बनाई है. इसमें इंडियन प्रीमियर लीग का रोल बेहद अहम रहा है. भारत में स्पिनर्स को टॉप पर देखा जाता है और दुनिया में भी इन स्पिनर्स की तूती बोलती है. कई भारतीय स्पिनर्स अकेले दम पर टीम इंडिया को मैच जीता चुके हैं जिमसें अनिल कुंबले, हरभजन सिंह, युजवेंद्र चहल जैसे खिलाड़ियों का नाम शामिल है. लेकिन इन सबमें एक चाइनामैन गेंदबाज ऐसा भी है जो अपनी फिरकी से हर बार टीम को विकेट दिलाता है. हम कुलदीप यादव की बात कर रहे हैं. धीमी शुरुआत, संदर्ष भरा करियर और खूब सपोर्ट. कुलदीप यादव को एक बार फिर अपने करियर में जीवनदान मिला है. लेकिन यहां तक पहुंचने वाले कुलदीप ने शुरुआत से ही अपनी जिंदगी में काफी संघर्ष देखे हैं.
कुलदीप यादव की कहानी काफी दिलचस्प है. कुलदीप यादव का जन्म 4 दिसंबर 1994 को उत्तर प्रदेश के उनाव में हुआ था. कुलदीप के दोस्त जब मन लगाकर पढ़ाई करते थे तब ये युवा खिलाड़ी दिन रात मैदान पर पसीना बहाता था. इसके चलते कुलदीप को लगातार अपने पड़ोसियों से ताने सुनने पड़ते थे. इन तानों से कुलदीप अक्सर काफी ज्यादा परेशान रहा करते थे. कई लोगों को भी ये भी लगता था कि कुलदीप की मेहनत बेकार जाएगी और वो अपनी जिंदगी में कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे. कुलदीप दो बार 12वीं की परीक्षा और 1 बार 11वीं क्लास को मिस किया था. तब कुलदीप 12वीं में थे और अंडर 19 वर्ल्ड कप चल रहा था और जब 10वीं में थे तब टेस्ट मैच चल रहा था.
तेज गेंदबाजी से की शुरुआत
कुलदीप यादव ने अपने करियर की शुरुआत तेज गेंदबाज के रूप में की थी. लेकिन जैसे ही उनके कोच ने उन्हें देखा तो वो कुलदीप को स्पिन फेंकने के लिए कहने लगे. कुलदीप को ये बात सुन बेहद बुरा लगा. लेकिन इस बात ने कुलदीप की जिंदगी बदल दी और अंत में ये स्पिनर दुनिया का नंबर 1 चाइनामैन गेंदबाज बना.
अंडर 15 टीम में मिला ब्रेक
कुलदीप लगातार मेहनत कर रहे थे लेकिन उनकी मेहनत रंग नहीं ला रही थी. 13 साल की उम्र में कुलदीप का चयन यूपी की अंडर 15 टीम में हुआ तो सबकुछ बदल गया. लेकिन कुलदीप को यहां खेलने का मौका नहीं मिला और वो निराश होकर रोने लगे. कुलदीप इसके बाद पूरी तरह बैकफुट पर चले गए और उन्हें ऐसा लगने लगा कि उनकी जिंदगी में अब कुछ अच्छा नहीं होगा. इसके बाद कुलदीप ने खेल छोड़ने का फैसला कर लिया था. कुलदीप अपनी कड़ी मेहनत का नतीजा इस तरह नीचे गिरता हुआ नहीं देखना चाहते थे और आत्म हत्या करना चाहते थे. लेकिन पिता और कोच की बातों ने उन्हें फिर से जिंदा कर दिया. कुलदीप इसके बाद दोबारा खेलने के लिए तैयार हो गए.
कुलदीप का करियर
कुलदीप यादव के करियर में अगर किसी शख्स का सबसे अहम योगदान है तो वो उनके कोच कपिल पांडे का है. कपिल पांडे की कोचिंग ने कुलदीप की जिंदगी बदल दी. और यही कारण था का कुलदीप को साल 2012 में मुंबई इंडियंस ने अपनी टीम में शामिल किया. डेब्यू सीजन में वो 11 खिलाड़ियों में जगह बनाने में तो कामयाब नहीं हो पाए लेकिन नेट सेशन में सचिन को गुगली डालते ही उनके नाम की चर्चा होने लगी. इसके बाद उनकी दलीप ट्रॉफी में एंट्री हुई और इस गेंदबाज ने 3 मैच में 17 विकेट लेकर तहलका मचा दिया.
कुलदीप का सफर चलता रहा और फिर 2014 में वो केकेआर में आए. लेकिन पहला मैच उन्हें साल 2016 में मिला. केकेआर की तरफ से खेलते हुए उन्होंने 3 मैचों में 6 विकेट लेकर अपना नाम बनाया. कुलदीप ने 2014 में अंडर 19 वर्ल्ड कप में हैट्रिक लेकर इतिहास रच दिया. साल 2017 में पहली बार कुलदीप को टीम इंडिया में मौका मिला. इस दौरान कुलदीप ने ऑस्ट्रेलिया के 4 बल्लेबाजों को आउट कर सुर्खियां बटोरी. वहीं साल 2017 में ही वेस्टइंडीज के खिलाफ कुलदीप को वनडे में डेब्यू करने का मौका मिला. और साल 2017 में ही उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ टी20 में डेब्यू किया. कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल की फिरकी कि इतनी ज्यादा चर्चा होने लगी कि इन दोनों को कुलचा के नाम से बुलाया जाने लगा. कुलदीप ने 8 टेस्ट, 98 वनडे और 32 टी20 मुकाबले खेले हैं. इस दौरान उन्होंने 34, 164 और 52 विकेट लिए हैं.