विनेश फोगाट को सिल्वर मेडल दिलाने के लिए वकीलों ने दिए यह 5 तर्क, मशीन में खराबी से लेकर पीरियड्स का हुआ जिक्र

विनेश फोगाट को सिल्वर मेडल दिलाने के लिए वकीलों ने दिए यह 5 तर्क, मशीन में खराबी से लेकर पीरियड्स का हुआ जिक्र
विनेश फोगाट का भारत लौटने पर जोरदार स्वागत हुआ था.

Highlights:

विनेश फोगाट को पेरिस ओलिंपिक में 100 ग्राम वजन ज्यादा होने पर डिसक्वालीफाई किया गया.

विनेश फोगाट ने डिसक्वालीफाई किए जाने को खेल पंचाट में चुनौती दी थी.

विनेश फोगाट की सिल्वर मेडल की मांग पर उनके वकीलों ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) में कई मजबूत तर्क रखे लेकिन वे नहीं माने गए. मशहूर वकील हरीश साल्वे और खेल कानूनों के विशेषज्ञ विदुष्पत सिंघानिया ने भी इस मामले में विनेश के पक्ष में पैरवी की. लेकिन पांच में से एक केवल एक ही तर्क पर CAS ने सहमति जताई. विनेश के केस में जारी आदेश में कहा गया कि प्रतियोगिता के दौरान वजन की सीमा को बनाए रखना खिलाड़ी की जिम्मेदारी है. इस बारे में उन्हें पहले से पता होता है कि वे इससे बच नहीं सकते. CAS ने हालांकि इन नियमों को निर्दयी माना लेकिन कहा कि यह सभी पर बराबर से लागू होते हैं. विनेश को पेरिस ओलिंपिक में 8 अगस्त को फाइनल मुकाबले के दिन 100 ग्राम वजन ज्यादा होने की वजह से अयोग्य घोषित कर दिया गया. वह 50 किलो कैटेगरी में खेल रही थी. उन्होंने पहले दिन लगातार तीन मैच जीतकर फाइनल में जगह बनाई थी.

 

विनेश की ओर से पांच मुख्य CAS के सामने दिए गए. इनमें वजन करने वाली मशीन में खराबी से लेकर पीरियड्स के चलते शारीरिक बदलाव और दो किलोग्राम वजन की छूट की बात कही गई लेकिन इनमें से किसी को भी CAS ने स्वीकार नहीं किया. उसकी ओर से कहा गया कि ये तर्क नियमों में बदलाव के लिहाज से मुफीद हैं लेकिन विनेश ने जो मांग रखी है उसमें मदद नहीं करते. 

 

विनेश की तरफ से CAS को क्या कहा गया

 

- विनेश की तरफ से कहा गया कि उनका वजन दूसरी बार वजन कराने से पहले बढ़ा है. इससे उनके तीन मैचों के नतीजों को रद्द नहीं करना चाहिए. इन्हें जीतकर वह फाइनल में गई थी. इसकी वजह से वह सिल्वर मेडल की दावेदार हैं. साथ ही वह इस स्पर्धा की सभी रैंकिंग, स्कोर और पॉइंट की हकदार हैं. 
जवाब- यह तर्कपूर्ण बात है लेकिन नियम ऐसा करने की अनुमति नहीं देते. नियम में साफ लिखा है कि उल्लंघन पर बाहर कर दिया जाएगा. ऐसे में CAS फेडरेशन के नियमों को नए सिरे से नहीं लिख सकता.

 

- विनेश की ओर से कहा गया वजन करने वाली मशीन में गड़बड़ थी. जब वह खाली थी तब भी उसमें 50 ग्राम वजन दिख रहा था तो विनेश के अतिरिक्त वजन का आधा था.
जवाब- फिर भी यह बात तो तथ्य के रूप में रहेगी कि याचिकाकर्ता 50 किलो की लिमिट से ऊपर थी.

 

- विनेश फोगाट ने कहा कि अलग-अलग बैकग्राउंड से आने वाले एथलीट्स के लिए प्रक्रिया को समझने के लिए पर्याप्त ट्रेनिंग नहीं होती. उन्हें अच्छी तरह से इस बारे में बताया भी नहीं जाता.
जवाब- विनेश के सबूतों से लगता है कि उन्हें 50 किलो से नीचे के वजन की पूरी जानकारी थी और उन्होंने इसके लिए कोशिश भी की.

 

- एक मेडिकल सर्टिफिकेट देकर बताया गया कि 8 अगस्त को विनेश पीरियड्स से पहले वाले फेज में थी. इससे शरीर के वजन पर असर पड़ता है. कहा गया है कि पुरुष और महिला के शरीर में अंतर होता है और दूसरे दिन के वजन के दौरान इस पर ध्यान देना चाहिए.
जवाब- पुरुष और महिला एथलीट के शरीर में अंतर के नतीजों का कोई सबूत नहीं दिया गया. विनेश ने 50 किलो कैटेगरी को चुनौती नहीं दी है. शरीर में अंतर के असर की बात कहना काल्पनिक है और इसके पक्ष में कोई सबूत नहीं है.

 

- विनेश की तरफ से तर्क दिया गया कि यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग का आर्टिकल 8 एथलीट्स को इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में दो किलो तक के वजन की छूट देता है. वर्ल्ड कप, UWW रैंकिंग सीरीज में इसकी अनुमति होती है. ओलिंपिक भी इंटरनेशनल टूर्नामेंट है तो इसकी छूट मिलनी चाहिए.
जवाब- आर्टिकल 8 में ओलिंपिक खेलों को इंटरनेशनल टूर्नामेंट में शामिल नहीं किया गया है. ऐसे में दूसरे वजन के दौरान उन्हें छूट नहीं मिल सकती. 

 

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