विनेश फोगाट कुश्ती के संन्यास के फैसले को वापस नहीं लेंगे. उनके पति सोमवीर राठी ने इसकी पुष्टि की. विनेश और उनके पति 17 अगस्त को पेरिस ओलिंपिक 2024 में हिस्सा लेने के बाद भारत पहुंचे. यहां इस महिला पहलवान का जोरदार स्वागत हुआ. विनेश को 50 किलो कैटेगरी में 100 ग्राम वजन ज्यादा होने की वजह से फाइनल से डिसक्वालीफाई कर दिया गया था. वह ओलिंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनी थी. लेकिन डिसक्वालीफाई होने से पदक का सपना टूट गया. विनेश ने इसके बाद कुश्ती छोड़ने का ऐलान किया था.
सोमवीर राठी ने इंडिया टुडे ग्रुप से बातचीत में कहा कि विनेश ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली. वह दोबारा कुश्ती नहीं हो पाएगी. उन्होंने बताया कि उन्हें फेडरेशन से सपोर्ट नहीं मिला और पिछले डेढ़-दो साल में जो कुछ हुआ है उसने उन्हें अंदर से तोड़ दिया. सोमवीर ने बताया कि फाइनल से पहले वाली रात उन लोगों ने पूरी कोशिश की वे इस बारे में अब ज्यादा कुछ नहीं कह पाएंगे. विनेश ने वजन कम करने के लिए जान झोंक दी थी. उन्होंने पूरी रात न पानी पिया और न खाने का एक निवाला तक लिया. वजन में कटौती के लिए बाल तक काट लिए लेकिन 100 ग्राम वजन ज्यादा रह ही गया.
सोमवीर राठी ने सुनाई दिल पिघला देने वाली दास्तान
सोमवीर ने विनेश के आगे कुश्ती करने के सवाल पर कहा,
डेढ़-दो साल से जो चल रहा है... हमारे यहां फेडरेशन नहीं है. हमारे लिए यहां कुछ नहीं है तो किसके लिए गेम करेंगे. हर जगह दुखी होना है और उसके अंदर खेल है लेकिन अब हो नहीं पाएगा. बहुत मुश्किल है. हमने उस रात बहुत सोच-समझकर फैसला किया था. ऐसा नहीं था कि भावना में बहकर ऐसा किया. हमने सब कुछ देख लिया था. कोई साथ नहीं खड़ा है. अगर खिलाड़ी के साथ कोई खड़ा ही नहीं है तो वह क्या कर पाएगा. बस हमारा यहीं तक सफर था. हमने सोचा था कि देश के लिए मेडल लेकर आए, विनेश की ऐसी भावना थी. उसके दो ओलिंपिक खराब हो गए थे तो सोच रही थी कि मैं अपना बेस्ट करूंगी. उसको भगवान ने सब कुछ दिया. जो उसने मांगा नहीं वह भी दिया. जबसे खेल शुरू किया तब से उसकी भगवान से एक मांग थी कि ओलिंपिक में मेडल आए. भगवान से उसने जो मांगा वही नहीं मिला. इसका बहुत दुख है. अब दोबारा कुश्ती नहीं हो पाएगी. हमारे लिए असंभव है. अंदर से टूट गए हैं. हमें अब किसी भी चीज से उम्मीद नहीं है.
उन्होंने कहा कि पेरिस ओलिंपिक में विनेश से नहीं देश से मेडल छिना है. अगर वह मेडल जीतती तो देश का नाम ऊपर होता. उसने पूरी कोशिश की लेकिन सबकी किस्मत में मेडल नहीं होता है. इस बात का दुख है कि देश को मेडल नहीं दिला पाए.
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