Paris Olympics: अमन सहरावत ने जीता ब्रॉन्ज तो पीएम मोदी ने स्पेशल अंदाज में पहलवान को फोन पर दी बधाई, कहा- तुमने अखाड़े को...

Paris Olympics: अमन सहरावत ने जीता ब्रॉन्ज तो पीएम मोदी ने स्पेशल अंदाज में पहलवान को फोन पर दी बधाई, कहा- तुमने अखाड़े को...
पीएम मोदी के साथ फोन पर बात करते अमन सहरावत

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Paris Olympics: अमन सहरावत को पीएम मोदी ने बधाई दी हैParis Olympics: पीएम मोदी ने कहा कि तुमने अपने अखाड़े को अपना घर बना लिया है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को पहलवान अमन सहरावत को पेरिस ओलिंपिक 2024 में ब्रॉन्ज जीतने पर फोन करके बधाई दी. अमन ने ओलिंपिक में अपना पहला कांस्य पदक जीता और भारत के नाम छठा पदक किया. सहरावत को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए पीएम मोदी ने कहा, "आपने देश की उम्मीदों को पूरा किया है. आपने 'अखाड़े' को अपना घर बना लिया, ऐसी उपलब्धि जिसकी बराबरी बहुत कम लोग कर सकते हैं. आपकी यात्रा पूरे भारत के लिए प्रेरणा है."

मोदी ने कहा कि सहरावत ने कम उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया और खुद को कुश्ती के लिए समर्पित कर दिया. सहरावत ने उन्हें दी गई सभी सुविधाओं के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया और अगले ओलिंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने का विश्वास जताया.

 

सहरावत को 21 साल पूरे हुए एक महीना भी नहीं हुआ है. उनके इस प्रयास ने भारत को अपना छठा पदक जीतने और टोक्यो खेलों में सात पदक जीतने के करीब पहुंचने में मदद की. भारत ने अब तक एक रजत और पांच कांस्य पदक हासिल किए हैं. अपने माता-पिता को बचपन में ही खो देने के बाद अपने दादा के पास पले-बढ़े इस युवा ने अपनी जीत के बाद कहा, "मुझे अपने देश के लिए पदक जीते हुए काफी समय हो गया है. मुझे इसके लिए कुछ करना था. मैं भारत के लोगों से कहना चाहूंगा कि मैं निश्चित रूप से 2028 में आपके लिए स्वर्ण पदक जीतूंगा." "मेरा लक्ष्य स्वर्ण पदक था, लेकिन मुझे इस बार कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा. मुझे सेमीफाइनल की हार को भूलना था. मैंने खुद से कहा, इसे जाने दो और अगले पर ध्यान दो. सुशील पहलवान ने दो पदक जीते हैं. ऐसे में मैं 2028 में और फिर 2032 में भी जीतूंगा.''

 

बता दें कि सहरावत अंडर-23 विश्व चैंपियन पेरिस खेलों के लिए क्वालीफाई करने वाले एकमात्र भारतीय पुरुष पहलवान थे . कुश्ती ने 2008 के बाद से ओलिंपिक में एक भी पदक नहीं गंवाया है और सहरावत के प्रयास ने सुनिश्चित किया कि यह सिलसिला बरकरार रहे. सुशील कुमार ने बीजिंग (2008) में कांस्य पदक जीता था. उसके बाद योगेश्वर दत्त (2012), साक्षी मलिक (2016), रवि दहिया और बजरंग पुनिया (2021) ने परंपरा को बरकरार रखा है.

 

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