पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की नाटकीय गिरफ्तारी के बाद जहां पूरा पाकिस्तान जल रहा है तो वहीं भारत के ब्रिज खिलाड़ियों का लाहौर के पांच सितारा होटल में राजसी सत्कार हुआ. भारत की 32 सदस्यीय ब्रिज टीम में समाजसेवी और एचसीएल के संस्थापक शिव नाडर की पत्नी किरण नाडर और अनुभवी राजेश्वर तिवारी भी शामिल हैं. दुनिया भर में कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं सहित एशियाई खेलों में भी हिस्सा लेने वाले राजेश्वर उस टीम का हिस्सा थे जिसने एशियाई ब्रिज महासंघ और मिडिल ईस्ट चैंपियनशिप के ओपन वर्ग में स्वर्ण पदक जीता. भारत ने प्रतियोगिता में दांव पर लगे चारों स्वर्ण पदक जीतकर सूपड़ा साफ किया.
इमरान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में हिंसा फैली है और ऐसे में भारतीय टीम के नर्वस होने की आशंका थी लेकिन तिवारी ने पीटीआई को बताया कि आयोजकों ने सुनिश्चित किया है कि वे पर्ल कॉन्टिनेंटल होटल में पूरी तरह सुरक्षित महसूस करें. तिवारी ने कहा, ‘वाघा सीमा पार करके पाकिस्तान में प्रवेश के बाद से ही उन्होंने हमारा विशेष ख्याल रखा है. पाकिस्तान ब्रिज महासंघ के अध्यक्ष हमारा स्वागत करने सीमा पर आए थे. प्रतियोगिता शीर्ष स्तर की नहीं थी लेकिन मेहमाननवाजी के मामले में हमने जिन भी विदेशी टूर्नामेंट में हिस्सा लिया है उनमें यह सर्वश्रेष्ठ अनुभव था.’
भारतीय खिलाड़ियों ने लाहौर का किया भ्रमण
तिवारी ने अमृतसर हवाई अड्डे से उड़ान भरने से पहले पीटीआई से कहा, ‘भारत में हमें भी अपनी मेहमाननवाजी के लिए जाना जाता है लेकिन जब वे यहां आएंगे तो हमारे लिए उनकी बराबरी करना मुश्किल होगा.’ भारतीय दल चार मई को लाहौर पहुंचा था और अधिकांश सदस्य रविवार (14 मई) को स्वदेश लौटे. किरण नाडर सहित सात लोग शनिवार (13 मई) को भारत लौट आए थे. इमरान की गिरफ्तारी के बाद भारतीय टीम को होटल में ही रहने को कहा गया था लेकिन इससे पहले तिवारी और टीम के सदस्य लाहौर में कई जगह घूमे. मेजबान पाकिस्तान और भारत के अलावा प्रतियोगिता में यूएई, जोर्डन, बांग्लादेश और फलस्तीन की टीमों ने हिस्सा लिया.
दोनों देशों में क्या अंतर दिखा?
तिवारी ने कहा, 'हमारी सभी जरूरतों का ख्याल रखा गया. हमारी छोटी चीजों का ध्यान रखने के लिए भी उन्होंने एक गेस्ट रिलेशन मैनेजर नियुक्त किया गया. सुरक्षा का मसला भी नहीं था क्योंकि जहां भी जा रहे थे वहां पर कमांडो साथ थे. लाहौर में रुकने के दौरान हम तीन-चार बार बाहर गए होंगे. भारतीय उच्चायुक्त के कहने पर गुरुवार और शुक्रवार को हमें अंदर ही रहने को कहा गया. कुल मिलाकर यह यादगार अनुभव था. मुझे सीमा पार करने के बाद ज्यादा अंतर नहीं दिखा. मैं दिल्ली में रहता हूं और वाघा से बॉर्डर पार करते हुए लगा कि हम दिल्ली से गाजियाबाद जा रहे हैं. कल्चर के हिसाब से कुछ अंतर है मगर आपको घर जैसा ही लगता है.'
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