पेरिस ओलिंपिक में इतिहास रचने के बाद भारतीय खिलाड़ी ने 24 साल की उम्र में खेल छोड़ दिया है. करियर को लेकर इतना बड़ा फैसला टेबल टेनिस खिलाड़ी अर्चना कामथ ने लिया, जो पेरिस में इतिहास रचने वाली भारतीय वीमेंस टेबल टेनिस का हिस्सा थीं. पेरिस ओलिंपिक में भारतीय वीमेंस टेबल टेनिस टीम इतिहास में पहली बार क्वार्टर फाइनल में पहुंची थी. जहां जर्मनी ने भारत को हरा दिया था. अर्चना एक गेम जीतने वाली एकमात्र खिलाड़ी थीं. हालांकि भारत ने 1-3 से मुकाबला गंवा दिया और इसी के साथ टीम बाहर हो गई थी.
ओलिंपिक में भारत के टेबल टेनिस इतिहास में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचना ऐतिहासिक था, मगर कामथ इससे भी अधिक चाहती थी. इसके बाद उन्होंने अपने करियर को लेकर बड़ा फैसला ले लिया है. अगला ओलिंपिक साल 2028 में लॉस एंजिलिस में खेला जाएगा, जहां मेडल की कोई गारंटी ना होने के कारण युवा पैडलर ने पेशेवर रूप से टेबल टेनिस छोड़ने और इसकी बजाय विदेश में पढ़ाई करने का फैसला किया है.
पहले की कोच से बात
पेरिस ओलिंपिक से घर लौटने के बाद कामथ ने अपने कोच अंशुल गर्ग से अगले ओलिंपिक में मेडल जीतने की संभावनाओं पर बात की. अर्चना के रुख ने कोच को हैरान कर दिया और उन्होंने भी ईमानदारी से जवाब देने का फैसला किया. इंडियंस एक्सप्रेस के अनुसार कोच ने कहा-
मैंने उनसे कहा कि ये मुश्किल है. इसमें बहुत मेहनत लगेगी. वो दुनिया में शीर्ष 100 से बाहर हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों में उन्होंने बहुत सुधार किया, लेकिन मुझे लगता है कि उन्होंने पहले ही जाने का मन बना लिया था और एक बार जब वो अपना मन बना लेती हैं, तो उसे बदलना मुश्किल होता है.
अर्चना कामथ भी पहले एक इंटरव्यू में बता चुकी है कि वो अपने भाई से काफी प्रेरित हैं. वो नासा में काम करते हैं. कामथ ने कहा था -
मेरे भाई नासा में काम करते हैं. वो मेरा आइडियल हैं और वो मुझे पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करते हैं. इसलिए मैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए समय निकालती हूं और मुझे इसमें मजा आता है. मैं इसमें अच्छी भी हूं.
अर्चना कामथ को भी उनके पिता ने भी एक प्रतिभाशाली स्टूडेंट बताया. जिनका कहना है कि उनकी बेटी को अपने करियर के चुनाव पर कोई पछतावा नहीं है.