इंग्लैंड को तीसरे और आखिरी टेस्ट में न्यूजीलैंड के सामने करारी हार झेलनी पड़ी. हैमिल्टन में खेले गए मुकाबले में उसे 423 रन से शिकस्त मिली. जीत के लिए उसे 658 रन का लक्ष्य मिला था और इसका पीछा करते हुए इंग्लिश टीम 234 रन पर सिमट गई. कीवी टीम ने इस नतीजे के जरिए टेस्ट क्रिकेट में संयुक्त रूप से अपनी सबसे बड़ी जीत दर्ज की. इससे पहले उसने 2018 में श्रीलंका को भी 423 रन से हराया था. वहीं इंग्लिश टीम के लिए यह नतीजा काफी शर्मनाक रहा. उसे एक कैलैंडर ईयर में दूसरी बार 400 रन से ऊपर के अंतर से टेस्ट में हार मिली है. न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच से पहले भारत ने फरवरी में राजकोट टेस्ट में उसे 434 रन से धूल चटाई थी.
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इंग्लैंड इकलौती टीम है जिसे टेस्ट में छह बार 400 से ज्यादा के अंतर से हार मिली है. उसके खिलाफ रनों के हिसाब से सबसे बड़ी जीत ऑस्ट्रेलिया ने 1934 में दर्ज की थी. जब उसे 562 रन से हार झेलनी पड़ी थी. वैसे टेस्ट क्रिकेट में रनों के लिहाज से सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड भी इंग्लैंड के नाम ही है. उसने 1928 में ऑस्ट्रेलिया को 675 रन से मात दी थी. न्यूजीलैंड ने आखिरी टेस्ट को जीतकर इंग्लैंड को क्लीन स्वीप से रोक दिया. इंग्लैंड ने पहला टेस्ट आठ विकेट से और दूसरा 323 रन से जीता था.
इंग्लैंड दूसरी पारी में नहीं कर सका मुकाबला
इंग्लैंड ने मैच के चौथे दिन दूसरी पारी में दो विकेट पर 18 रन से आगे खेलना शुरू किया. तीसरे विकेट के लिए जो रूट (54) और जैकब बेथेल (76) ने 104 रन की साझेदारी की और लग रहा था कि दोनों टिककर मैच को ड्रॉ की ओर ले जाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. इन दोनों के जाने के बाद बाकी बल्लेबाजों में केवल गस एटकिंसन ही 43 रन के साथ कुछ रन जुटा सके. विकेट लगातार गिरते रहे और न्यूजीलैंड की जीत पर मुहर लग गई. हैरी ब्रूक को पहले दो टेस्ट में शतकों के कारण प्लेयर ऑफ दी सीरीज चुना गया.
इंग्लैंड को इस टेस्ट में दोहरा झटका लगा. करारी हार के साथ ही उसके कप्तान बेन स्टोक्स चोटिल हो गए. वे हैमस्ट्रिंग चोट के कारण इंग्लैंड की दूसरी पारी में बैटिंग के लिए नहीं आ सके. उन्हें तीसरे दिन गेंदबाजी के दौरान बायीं हैमस्ट्रिंग में चोट लगी थी और वह फील्डिंग नहीं कर सके.
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