भारतीय टीम (Indian Team) का सपना तीसरे वर्ल्ड कप (World Cup) पर कब्जा करने का उस वक्त टूट गया जब टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में 6 विकेट से हार मिली. मेजबान टीम को फेवरेट बताया जा रहा था क्योंकि फाइनल से पहले टीम ने लगातार 10 मैचों पर कब्जा जमाया था. लेकिन एक खराब मैच और टीम फाइनल हार गई. ऑस्ट्रेलिया को भारत ने अपने ओपनिंग मैच में हराया था लेकिन कंगारुओं ने फाइनल में इसका बदला ले लिया. फाइनल से पहले भारत ने अपने पिछले तीन मुकाबलों में 350 से ज्यादा रन बनाए थे. लेकिन फाइनल में पूरी टीम 240 रन पर ऑलआउट हो गई और ऑस्ट्रेलिया ने 6 विकेट से मैच पर कब्जा कर लिया.
ADVERTISEMENT
भारत ने पहले 10 ओवरों में 80 रन बना दिए थे. लेकिन इसके बाद टीम अगले 40 ओवरों में सिर्फ 4 बाउंड्री ही ठोक पाई. इस दौरान टीम के बल्ले से एक भी छक्का नहीं निकला. ऐसे में टीम इंडिया के पूर्व ओपनिंग बल्लेबाज गौतम गंभीर ने बड़ा बयान दिया है और कहा है कि, अगर टीम इंडिया मिडिल ओवरों में बाउंड्री लगाती तो हम चैंपियन होते.
खिलाड़ियों ने नहीं लिया रिस्क
गंभीर ने स्पोर्ट्सकीड़ा से बात करते हुए कहा कि, ये दो धारी तलवार की तरह था. लेकिन मैंने हमेशा कहा है कि, अगर आपको वर्ल्ड कप जीतना है तो आपको निडर होकर खेलना होगा. मैं समझ सकता हूं कि आपको साझेदारी बनाने के लिए समय चाहिए होता है. लेकिन 11 से 40 ओवर, ये काफी ज्यादा है. किसी ने किसी को यहां रिस्क लेना चाहिए था. गंभीर ने कहा कि, अगर कोई रिस्क लेता तो क्या होता, टीम पहले आउट हो जाती और कम स्कोर बनता. लेकिन हम कम से कम निडर होकर तो खेलते.
पूर्व ओपनर ने कहा कि, मैं चाहता था कि शुरुआत के 6-7 बल्लेबाज आक्रामक क्रिकेट खेलते, भले ही हम 150 पर ऑलआउट हो जाते. लेकिन अगर आपको लगता है कि आप वर्ल्ड कप फाइनल में 240 डिफेंड कर सकते हो तो आपने फिर टक्कर नहीं दी. ये करो या मरो वाला मैच था. या तो 150 बनाना था या 300 और भारत यहीं पीछे रह गया. आईसीसी टूर्नामेंट्स में हमारे साथ ही होता आ रहा है. रोहित ने मैच से पहले साफ कहा था कि हमें आक्रामक क्रिकेट खेलना होगा.
राहुल ने धीमी पारी खेली
बता दें कि केएल राहुल और विराट कोहली ने चौथे विकेट की साझेदारी के लिए 109 गेंद लिए और सिर्फ 67 रन बनाए. विराट की स्ट्राइक रेट अच्छी थी लेकिन उन्होंने बाउंड्री नहीं लगाई और वो 63 गेंद पर 54 रन बनाकर आउट हो गए. गंभीर ने कहा कि, कोहली को एंकरिंग का रोल मिला था और उन्होंने अच्छा काम किया. लेकिन राहुल ने धीमा खेला और 107 गेंद पर सिर्फ 66 रन ही बनाए. राहुल को और तेज खेलना चाहिए था, हिम्मत दिखानी चाहिए थी. ये 1990 नहीं है. 240 अच्छा स्कोर नहीं है. फाइनल जीतना है तो 300 से ज्यादा रन बनाने होंगे.
ये भी पढ़ें:
मुकाबले से पहले पिच के बिल्कुल करीब नहीं भटकते मोहम्मद शमी, वर्ल्ड कप के बाद दिया बड़ा बयान, कहा- जब चार मैचों के लिए आप बाहर...
ICC ने महिला क्रिकेट में ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के खेलने पर लगाया बैन, जानिए क्यों किया यह फैसला