वर्ल्ड कप 2023 के दौरान श्रीलंका और बांग्लादेश के बीच मुकाबले में एंजेलो मैथ्यूज को शाकिब अल हसन की ओर से टाइम्ड आउट करने पर काफी बवाल हुआ. इस मसले पर श्रीलंकाई टीम ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और बांग्लादेश पर तीखे शब्दों की बारिश कर दी. वहीं बांग्लादेश की ओर से इस कदम का बचाव किया गया. इस बीच टाइम्ड आउट को लेकर खेल भावना का भी कुछ लोगों ने भी जिक्र किया. ऐसे में बंटे हुए विचारों के बीच क्रिकेट के नियम बनाने वाले मेरिलबॉन क्रिकेट क्लब की ओर से बयान आया है. उसने विस्तार से टाइम्ड आउट की व्याख्या की और बताया कि कौन सही था. एमसीसी का कहना है कि श्रीलंकाई बल्लेबाज मैथ्यूज तय समय में बैटिंग के लिए तैयार नहीं थे. उन्होंने हेलमेट टूटने की जानकारी भी अंपायर को नहीं दी. ऐसे में बांग्लादेश के कप्तान की कार्रवाई सही थी.
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एमसीसी ने कहा, नियम कहते हैं कि विकेट गिरने या रिटायरमेंट होने पर नए बल्लेबाजों को तीन मिनट के अंदर गेंद का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तब बल्लेबाज टाइम्ड आउट करार दिया जा सकता है. वर्ल्ड कप के नियमों में बल्लेबाज के बैटिंग के लिए आने का समय दो मिनट ही तय किया गया है. इसमें अहम बात है कि बल्लेबाज को तय समय पर गेंद का सामना करने के लिए तैयार होना चाहिए. मैदान या विकेट पर होना काफी नहीं है. बल्लेबाज इस हालत में होना चाहिए कि वह गेंद खेल सके. अंपायर्स ने फैसला किया कि मैथ्यूज दो मिनट की समयावधि में गेंद खेलने को तैयार नहीं थे. फिर उन्हें हेलमेट की समस्या हो गई जिससे ज्यादा देरी हो गई.
हेलमेट की जानकारी अंपायर्स को देते थे बच जाते मैथ्यूज
एमसीसी ने आगे कहा, अगर अंपायर्स को दो मिनट की अवधि में हेलमेट की समस्या के बारे में बताया जाता तो वे इसे अलग तरह की देरी मानते. संभवतया टाइम्ड आउट की अवधि को यहां नहीं गिना जाता. हालांकि यह जरूरी है कि दोनों अंपायर्स ने माना कि दो मिनट का समय पूरा होने के बाद हेलमेट की समस्या हुई. मैथ्यूज 90 सैकंड में 30 गज के दायरे तक पहुंचे. जब उन्हें लगा कि समय कम है तब वे तेजी से विकेट पर पहुंचे. उनके हेलमेट की दिक्कत विकेट गिरने के एक मिनट 54 सैकंड के बाद हुई. इस समय तक मैथ्यूज ने न तो गार्ड लिया था और न ही वह गेंद खेलने की स्थिति में थे.
जब हेलमेट टूटा तब भी मैथ्यूज ने अंपायर्स से बात नहीं की और सीधे ही पवेलियन की ओर इशारा कर दिया. ऐसे में अंपायर्स ने सही फैसला लिया. सच कहा जाए तो अंपायर्स के पास क्रिकेट नियमों के तहत और कोई फैसला लेने का ऑप्शन नहीं था.
मैथ्यूज ने टाइम्ड आउट करने पर गहरी नाराजगी जाहिर की थी. उन्होंने मैच के बाद इसे निचले दर्जे की हरकत बताया था. साथ ही अंपायर्स व बांग्लादेश टीम में कॉमनसेंस की कमी बताई थी.
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