Sports Tak Special : क्रिकेट-फुटबॉल समेत किस खेल की क्‍या होती है फील्‍ड पोजिशन, इस काम की खबर में जानिए

अमेरिकी राजनीति पर नेटफ्लिक्स का एक शो है हाउस ऑफ कार्ड्स.

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नई दिल्‍ली. अमेरिकी राजनीति पर नेटफ्लिक्स का एक शो है हाउस ऑफ कार्ड्स. इसका मुख्य किरदार फ्रेंक अंडरवुड एक बार कहता है, पावर काफी हद तक रियल एस्टेट की तरह होती है. इसमें लोकेशन ही सब कुछ होती है, 'आप स्रोत के जितना करीब होते हैं प्रोपर्टी की वेल्यू भी उतनी ही होती है.' यह बयान खेलों पर बहुत हद तक लागू होता है. खेल के मैदान पर कौनसा खिलाड़ी कहां खेलता है, कहां फील्डिंग करता है, कहां से अटैक करता है, इससे खेल की दशा और दिशा दोनों बदल सकती है. चाहे क्रिकेट हो या फुटबॉल या बास्केटबॉल या रग्बी और हॉकी. सही जगह और सही समय सही खिलाड़ी अगर मिल जाता है तो कमाल होता है. अभी तक की भूमिका से आप समझ ही गए होंगे कि स्पोर्ट्स तक की खास पेशकश में हम जानेंगे अलग-अलग खेलों की पोजिशन के बारे में. इसके तहत क्रिकेट, फुटबॉल, बास्केटबॉल और रग्बी जैसे खेलों की पोजीशन की बात करेंगे.

 

हम भारत देश के वासी हैं तो सबसे पहले यहां के सबसे लोकप्रिय खेल क्रिकेट की बात करते हैं. यह खेल एक बड़े गोलाकार मैदान में खेला जाता है. ऐसे में रनों के बचाव के लिए फील्डिंग टीम को अपने खिलाड़ी तैनात करने होते हैं. यह जिम्मा कप्तान का रहता है. वह गेंदबाज से बात करके फील्डिंग पोजिशन सेट करता है. फील्डिंग के दौरान केवल विकेटकीपर ही ऐसा होता है जो पूरे मैच के दौरान एक विशेष जगह होता है. बाकी खिलाड़ी टीम की जरूरत के हिसाब से बदलते रहते हैं. कप्तान आमतौर पर बॉलर के पास ही फील्डिंग करता है ताकि उसके लिए रणनीति बनाना आसान रहे.

 

क्रिकेट का मैदान स्ट्राइक पर मौजूद बल्लेबाज के हिसाब से दो हिस्सों में बंटा होता है. मैदान के बीच में पिच होती है. स्ट्राइक पर अगर दाएं हाथ का बल्लेबाज होता है तो उसके सामने का हिस्सा ऑफ साइड कहलाता है. वहीं पीछे का हिस्‍सा लेग या ऑन साइड कहा जाता है. अगर बाएं हाथ का बल्लेबाज स्ट्राइक पर होगा तो मैदान के हिस्सों का बंटवारा दाएं हाथ के बल्लेबाज का ठीक उल्टा होगा. यानी ऑफ बन जाएगी ऑन और ऑन बन जाएगी ऑफ साइड. मैदान की सीमा बाउंड्री कहलाती है. वहीं बाउंड्री से पहले 30 गज का घेरा होता है.

 

क्रिकेट की फील्डिंग पोजिशन

ऑफ साइड में
पहली स्लिप- विकेटकीपर के पास दायीं तरफ.
दूसरी स्लिप- पहली स्लिप के दायीं तरफ
तीसरी स्लिप- दूसरी स्लिप के दायीं तरफ
फ्लाई स्लिप- कई बार 30 गज के दायरे के पास यह फील्डर रखा जाता है.
गली- तीसरी स्लिप और पॉइंट के बीच यह फील्डर होता है. अक्सर टेस्ट क्रिकेट में रहता है.
शॉर्ट थर्ड मैन-30 गज के पास. स्ट्राइकर क्रीज से 60 डिग्री पर.
थर्ड मैन- ऊपर की तरफ बाउंड्री के पास.
पॉइंट- क्रीज की एकदम सीध में 30 गज के दायरे पर,
डीप पॉइंट- क्रीज की एकदम सीध में बाउंड्री के पास.
सिली पॉइंट- क्रीज के पास करीबी कैचों के लिए.
कवर- पॉइंट के राइट में 30 गज के पास.
डीप कवर- बाउंड्री के पास.
एक्स्ट्रा कवर- कवर के पास एक्स्ट्रा फील्डर
डीप एक्स्ट्रा कवर- कवर के पास ही बाउंड्री पर एक्स्ट्रा फील्डर.
मिड ऑफ- गेंदबाज की बायीं तरफ 30 गज पर.
लॉन्ग ऑफ- बाउंड्री के पास
सिली मिड ऑफ- क्रीज के पास ही जब मिड ऑफ का फील्डर होता है.

 

लेग साइड
शॉर्ट लेग- पिच के करीब कैचिंग के लिए.
लेग गली- ऑफ साइड की तरह ही लेग में कैचिंग के लिए.
लेग स्लिप- विकेटकीपर के बायीं तरफ कैच के लिए.
स्ट्रेट हिट- एकदम सामने बाउंड्री के पास.
मिड ऑन- गेंदबाज के दायीं तरफ नॉन स्ट्राइकर वाली क्रीज की लाइन में.
लॉन्ग ऑन- मिड ऑन का फील्डर जब बाउंड्री पर जाए.
सिली मिड ऑन- कैचिंग के लिए पिच के करीब.
काउ कॉर्नर- लॉन्ग ऑन और डीप मिडविकेट के बीच.
मिड विकेट-  जैसा कि नाम से लग रहा यह फील्डर पिच के बिल्कुल मिडिल की लाइन में  30 गज पर होता है.
डीप मिडविकेट- मिडविकेट जब बाउंड्री पर चला जाता है
स्क्वेयर लेग- स्ट्राइकर की क्रीज की लाइन में 30 गज पर.
डीप स्क्वेयर लेग- स्क्वेयर लेग जब बाउंड्री पर होता है
शॉर्ट फाइन लेग- लेग साइड में क्रीज से 60 डिग्री पर 30 गज के दायरे पर.
फाइन लेग-60 डिग्री पर लेग साइड बाउंड्री पर.
लॉन्ग लेग- डीप फाइन लेग जो थोड़ा विकेटकीपर की तरफ बाउंड्री पर खिसका हुआ होता है
लॉन्ग स्टॉप- विकेटों के पीछे एकदम बाउंड्री पर.

 

फुटबॉल
दुनिया का सबसे ज्यादा देखे और फॉलो किए जाने वाला खेल. इस खेल में एक बार में 11 खिलाड़ी खेलते हैं. इनमें से एक गोलकीपर होता है. क्रिकेट में जहां कप्तान सबसे ऊपर होता है वहीं फुटबॉल में कोच या मैनेजर जरूरी फैसले लेता है. इस खेल में खिलाड़ी पोजिशनके हिसाब से खेलते हैं और हरेक खिलाड़ी की पोजिशन मैच से पहले ही तय होती है.

 

स्ट्राइकर- यह सबसे आगे की तरफ होता है और विरोधी गोल के सबसे करीब रहता है. इस पर गोल दागने का जिम्मा होता है. इस पोजिशन के लिए एक से दो खिलाड़ी रहते हैं.
फॉरवर्ड- ये स्ट्राइकर के पीछे रहते हैं और इन पर गेंद को आगे ले जाने का जिम्मा रहता है. साथ ही गोल दागने में स्ट्राइकर की मदद करते हैं.
मिडफील्डर-इस जगह पर तैनात खिलाड़ी डिफेंडर और फॉरवर्ड के बीच की कड़ी होते हैं. ये मैदान के बीच में रहते हैं.
डिफेंडर- ये गोल पोस्ट के करीब रहते हैं और विरोधी टीम के हमलों को रोकने की जिम्मेदारी निभाते हैं.
गोलकीपर- यह सबसे पीछे होता है और गोल के पास खड़ा रहता है.

 

रग्बी

रग्बी एक फुर्तीला और ताकत से जुड़ा खेल है. इसमें काफी चोट लगती है क्योंकि खिलाड़ी एक दूसरे से टकराते भी हैं. इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका जैसे देशों में यह खेल काफी लोकप्रिय है. इस खेल में भी बड़ा मैदान चाहिए होता है. रग्बी में खिलाड़ियों की पोजिशन उनकी जर्सी नंबर के हिसाब से तय होती है. इसमें 15 खिलाड़ी खेलते हैं और हरेक की भूमिका पहले से तय हो जाती है. इनमें से आठ खिलाड़ी स्क्रम में होते हैं तो सात फील्ड में छितरे हुए खड़े रहते हैं.

 

रग्बी स्क्रम प्लेयर्स
प्रोप्स 1 और 3- ये स्क्रम में सबसे आगे होते है और साइज में बड़े होते हैं. इनका काम स्क्रम को धकियाने का रहता है.
हुकर- यह खिलाड़ी अक्सर कद में छोटा होता है. यह प्रोप्स के बीच में होता है और रग्बी बॉल को पीछे फेंकता है.
लॉक्स 4 और 5- इन पॉजीशन के लिए टीम के सबसे लंबे खिलाड़ियों को तैनात किया जाता है. ये स्क्रम के बीच में होते हैं. इन पर गेंद को लपकने का जिम्मा रहता है इसी वजह से लंबे कद के खिलाड़ी यहां रखे जाते हैं.
फ्लेंकर्स 6 और 7- ये खिलाड़ी टीम के टैकलर होते हैं. इन्हें हर समय और पूरे दम से दौड़ते रहना होता है. 
8 नंबर मैन- यह स्क्रम में सबसे पीछे होता है. उसका काम भी फ्लेंकर जैसा ही होता है. साइज में यह खिलाड़ी विशाल होता है. कई बार यही गेंद को लपकता है. 

 

रग्बी बैक्स

रग्बी क्वार्टर बैक्स 9 और 10- ये खिलाड़ी आमतौर पर कद में छोटे होते हैं. 9 नंबर की जर्सी वाले खिलाड़ी को स्क्रम हाफ भी कहा जाता है और ये गेंद को फ्लाई हाफ की तरफ उछालता है जो गेंद को लेकर दौड़ लगाता है.
सेंटर्स 12 और 13- ये दोनों दौड़ने का काम करते हैं. 12 नंबर की जर्सी वाला इनसाइड सेंटर कहलाता है और मजबूत व ताकतवर होता है जिससे कि विरोधियों को गिरा सके. 13 नंबर की जर्सी वाला आउटसाइड सेंटर कहलाता है. इनकी पहचान स्पीड होती है जिससे कि यह जल्दी से जल्दी गेंद को लाइन के पार पहुंचा सके.
विंग्स 11 और 14- ये दोनों टीम के दो सबसे तेज खिलाड़ी होते हैं. इन पर गेंद मिलने पर एक ही जिम्मेदारी होती है और वह है तेज दौड़ने की. ये मैदान के बाहरी हिस्से का इस्तेमाल करते हुए डिफेंस से बचते हुए रग्बी करते हैं. 
फुलबैक 15- यह लाइन अप में कहीं पर भी तैनात किया जा सकता है. इन पर गेंद को दूर तक मारने का जिम्मा रहता है. साथ ही डिफेंस से बचाने का जिम्मा भी इसी पर रहता है. 

 

बास्केटबॉल

बास्केटबॉल भी दुनिया के लोकप्रिय खेलों में शुमार है. यह इंडोर और आउटडोर दोनों तरह से खेला जाता है. अमेरिका, चीन, यूरोपीय देशों में यह खेल सबसे ज्यादा खेला और देखा जाता है. बास्केटबॉल में एक समय पर पांच खिलाड़ी खेल सकते हैं. इसमें भी खिलाड़ियों को उनकी पोजिशन पहले से असाइन होती है और वे उसी हिसाब से खेलते हैं. अब जानिए बास्केटबॉल की पोजिशंस के बारे में

 

सेंटर
यह टीम का सबसे लंबा खिलाड़ी होता है. यह बास्केट के करीब रहता है और बॉल को उसमें डालने का जिम्मा संभालता है. एक तरह से कह सकते हैं कि फुटबॉल के स्ट्राइकर की तरह. साथ ही डिफेंस के वक्त वह विरोधी टीम के खिलाड़ियों के शॉट्स को रोकने की कोशिश भी करता है.

 

पावर फॉरवर्ड
यह खिलाड़ी भी काफी हद तक सेंटर जैसा काम ही करता है. यह भी बास्केट के करीब ही रहता है. लेकिन बास्केट पर लंबी दूरी के शॉट लेने का जिम्मा भी रहता है.

 

स्मॉल फॉरवर्ड
यह खिलाड़ी छोटे और बड़े खिलाड़ियों के सामने खेलता है. ये खिलाड़ी नजदीक से भी स्कोर कर सकते हैं तो दूर से भी शॉट की कोशिश करते हैं.

 

पॉइंट गार्ड
यह खिलाड़ी विरोधी टीम पर हमले की शुरुआत करता है और यह टीम का बेस्ट ड्रिबलर और पासर (बॉल दूसरे खिलाड़ी को देना) होता है. डिफेंस के दौरान यह खिलाड़ी विरोधी टीम के पॉइंट गार्ड को रोकता है और बॉल छीनता है.

 

शूटिंग गार्ड
यह खिलाड़ी टीम का बेस्ट शूटर होता है. यह कमाल का ड्रिबलर भी होता है और दूरी से शॉट ले सकता है.

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