भारतीय अभिनेत्री मंदीरा बेदी को तो सब जानते हैं. वो पहली महिला थीं जिन्होंने क्रिकेट कमेंट्री में कदम रखा और लड़कियों के लिए रास्ता खोला. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सालों पहले उन्होंने भारतीय महिला क्रिकेट टीम को डूबने से बचाया था. ये बात है 2003 की है. उस वक्त भारतीय महिला क्रिकेट टीम बीसीसीआई के अंदर नहीं आती थी. ऐसे में वीमेन क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ इंडिया टीम को चलाती थी. पैसा इतना कम था कि इंग्लैंड जाने के लिए हवाई टिकट तक नहीं खरीद पा रहे थे.
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बता दें कि, मिताली राज, झूलन गोस्वामी, अंजुम चोपड़ा जैसी धुरंधर खिलाड़ी थीं टीम में, लेकिन रहने-खाने और आने-जाने का इंतजाम तक मुश्किल था.
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मंदीरा ने चुपचाप थामा हाथ
उस दौरान मंदीरा अपने करियर के टॉप पर थीं. एक बड़े डायमंड ज्वेलरी ब्रांड का ऐड शूट कर रही थीं. उसी दौरान उन्हें टीम की हालत का पता चला. बिना कुछ सोचे उन्होंने पूरा पैसा, जो उन्हें उस ऐड के लिए मिला था, डब्ल्यूसीएआई को दे दिया. इसी पैसे की बदौलत पूरी टीम इंग्लैंड जा पाई.
सिर्फ एक बार नहीं, बार-बार मदद की
मंदीरा यहीं नहीं रुकीं. अपने ब्रांड कनेक्शन्स का इस्तेमाल करके उन्होंने और भी कंपनियों से पैसे जुटाए. तीन साल तक, जब तक बीसीसीआई ने महिला क्रिकेट को अपने अंदर नहीं लिया, मंदीरा चुपचाप टीम की सहारा बनी रहीं.
नूतन गावस्कर ने खुद बताया सच
महान सुनील गावस्कर की बहन नूतन गावस्कर उस वक्त डब्ल्यूसीएआई में थीं. उन्होंने बताया कि, न्यूजीलैंड के एक दौरे पर हमारे पास होटल का पैसा नहीं था. लड़कियां एनआरआई परिवारों के घरों में रुकी थीं. और इंग्लैंड जाने के लिए मंदीरा ने जो पूरा ऐड का पैसा दिया, उसी से टिकट हुए."
कभी नहीं मांगा क्रेडिट
सबसे खूबसूरत बात ये है कि मंदीरा ने कभी इस बारे में किसी को नहीं बताया. ना कोई इंटरव्यू, ना कोई पोस्ट. बस चुपचाप मदद की और चली गईं. आज जब हरमनप्रीत की टीम वर्ल्ड कप जीतकर देश का नाम रोशन कर रही है तो इस दौरान मंदिरा बेदी की कहानी सभी के लिए प्रेरणा है.
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