पिता ने खाई थी कसम, बेटा पैदा हुआ तो बनाऊंगा क्रिकेटर, लोगों से पैड्स और बैट मांगे उधार, जानें कौन हैं रणजी फाइनल में शतक ठोकने वाले दानिश मालेवर

दानिश मालेवर ने रणजी फाइनल में शतक ठोक दिया है. मालेवर के पिता ने पहले ही सोच लिया था कि शादी के बाद अगर उनके घर बेटा आया तो वो उसे क्रिकेटर बनाएंगे.

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रणजी फाइनल के दौरान शतक लगाने के बाद दानिश मालेवर

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दानिश मालेवर ने इतिहास रच दिया है

मालेवर ने रणजी फाइनल में शतक ठोक दिया है

विदर्भ के बैटर दानिश मालेवर ने रणजी ट्रॉफी 2024-25 फाइनल में शतक ठोक क्रिकेट जगत को हिलाकर रख दिया है. मैच के पहले दिन केरल की टीम ने टॉस जीता और विदर्भ की टीम को बैटिंग का न्योता दिया. दोनों टीमों के बीच ये मुकाबला नागपुर के मैदान पर खेला जा रहा है. ऐसे में दाएं हाथ के इस बैटर ने कमाल का खेल दिखाया. टीम के लिए ओपनिंग में पार्थ रेखड़े और ध्रुव शोरे आए लेकिन दोनों ही फ्लॉप रहे और 0, 16 बनाकर चलते बने. दर्शन नालकंडे भी सिर्फ 1 रन पर आउट हो गए. 

मालेवर का शतक 

24 रन पर टीम के टॉप तीन बल्लेबाज आउट हो चुके थे. ऐसे में अब क्रीज पर दानिश मालेवर आए. दानिश ने पहले अपना अर्धशतक और फिर शतक पूरा किया. दोनों के बीच 100 रन से ज्यादा की साझेदारी हुई. मालेवर ने सीजन का दूसरा शतक ठोका. जब मालेवर 99 रन पर थे तब उन्होंने छक्के के साथ अपना शतक पूरा किया. 

बता दें कि इस युवा बैटर ने रणजी सीजन के पहले हाफ में आंध्र के खिलाफ डेब्यू किया था. इसके बाद उन्होंने दूसरी पारी में नंबर 3 पर उतरते हुए 61 रन ठोके थे. इसके बाद अगली तीन पारियों में उन्होंने 56, 42 और 59 रन ठोके. फर्स्ट क्लास में उनका पहला शतक नागपुर में गुजरात के खिलाफ आया था जब उन्होंने 115 रन की पारी खेली थी.

21 साल के मालेवर ने रणजी के क्वार्टरफाइनल में तमिलनाडु के खिलाफ 75 और 0 पर आउट हो गए थे. इसके बाद उन्होंने सेमीफाइनल में भी कमाल दिखाया और मुंबई के खिलाफ 79 और 29 रन ठोके. 

बेटा पैदा हुआ तो बनेगा क्रिकेटर

मालेवर के पिता विष्णु एक क्रिकेट फैन हैं और उन्होंने जब शादी की थी तब उन्होंने सोच लिया था कि अगर उनका बेटा हुआ तो वो उसे क्रिकेटर बनाएंगे. लोअर मिडिल क्लास से आने वाले विष्णु के लिए शुरुआत में ये काफी मुश्किल रहा. मालेवर ने बताया कि, उनके पिता हमेशा उन्हें क्रिकेटर बनाना चाहते थे और इसलिए उन्होंने मुझे एकेडमी भेजा. इस दौरान मैं सिर्फ 7 साल का था. मुझे क्रिकेट खेलने में काफी परेशानियां झेलनी पड़ी. कई लोग थे जो मुझे बैट, पैड और ग्लव्स दिया करते थे. और ऐसा तब होता था जब मैं रन मारता था. अंडर 19 के बाद ही हमारे घर में पैसे आने शुरू हुए.

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