एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने विशेष साक्षात्कार में अपने करियर, संन्यास और भारतीय क्रिकेट से जुड़े कई अहम मुद्दों पर खुलकर बात की है. उन्होंने बताया कि एक समय पर उन्हें अपना करियर बोझ जैसा लगने लगा था, जिसके चलते उन्होंने विदेशी लीगों में खेलने के लिए सही समय पर संन्यास का फैसला किया. इस बातचीत में उन्होंने टीम मैनेजमेंट और चयन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए, जिसमें खिलाड़ियों के साथ संवाद की कमी का मुद्दा प्रमुख था. उन्होंने एक बड़े टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में एक अनुभवी खिलाड़ी को नंबर 7 पर भेजने के फैसले पर भी गहरी हैरानी जताई. खिलाड़ी के खराब फॉर्म पर उन्होंने कहा कि आलोचना करने के बजाय मैनेजमेंट को उनका मानसिक हौसला बढ़ाना चाहिए. उन्होंने आगामी वर्ल्ड कप के लिए रिस्ट स्पिनर्स की वापसी की वकालत की. अपने 400 से अधिक मैचों के करियर, गंभीर बीमारी से संघर्ष और वापसी के अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे टीम का समर्थन एक खिलाड़ी के लिए महत्वपूर्ण होता है.
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