भारतीय वनडे टीम चयन से पहले विजय हजारे ट्रॉफी में लागू 'वर्कलोड मैनेजमेंट' नीति पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. स्पोर्ट्स तक के विक्रांत गुप्ता के विश्लेषण के अनुसार, इस नीति का असर खिलाड़ियों के चयन पर पड़ सकता है. संजू सैमसन जैसे खिलाड़ी, जिन्हें वनडे टीम के चयन से ठीक पहले केवल कुछ ही मैच खेलने का अवसर मिला, उनके भविष्य को लेकर चिंता जताई गई है. वहीं, ऋषभ पंत की फॉर्म और 33 की औसत पर भी चर्चा हो रही है, और उन्हें एक अच्छे मेंटर की आवश्यकता बताई जा रही है. इस बीच, रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे वरिष्ठ खिलाड़ियों ने दो-दो मैच खेले, जबकि शुभमन गिल और अर्शदीप सिंह जैसे खिलाड़ी टूर्नामेंट में शामिल नहीं हुए. यह बहस चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाती है. चर्चा में श्रेयस अय्यर की चोट, ऋतुराज गायकवाड़ का शानदार प्रदर्शन, और ध्रुव जुरेल का बैकअप विकेटकीपर के तौर पर उभरना भी शामिल है. यह विश्लेषण गौतम गंभीर के मार्गदर्शन में टीम की आगामी चुनौतियों और मोहम्मद सिराज के वर्कलोड मैनेजमेंट को भी रेखांकित करता है.
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