भारतीय क्रिकेट में मैच फिक्सिंग का भंडाफोड़: अजहर, जडेजा समेत कई पर बैन!

भारतीय क्रिकेट में मैच फिक्सिंग की शुरुआत साल 2000 में हुई, जब दिल्ली पुलिस ने कुछ संदिग्ध कॉल्स को टैप करना शुरू किया. साउथ अफ्रीका टीम के भारत दौरे के दौरान मुंबई के एक होटल में रुके संजय चावला के फोन कॉल्स से यह मामला सामने आया. पुलिस ने पाया कि चावला लगातार क्रिकेट की बात कर रहे थे और एक कॉल में उन्होंने "हैलो हेन्सी" कहा, जिससे हेन्सी क्रोनिए का नाम सामने आया. क्रोनिए ने बाद में टीवी पर अपनी गलती स्वीकार की और उन पर लाइफटाइम बैन लगा. भारत में एमके गुप्ता के जरिए अजहरुद्दीन, अजय जडेजा, अजय शर्मा और मनोज प्रभाकर जैसे खिलाड़ियों के नाम भी फिक्सिंग से जुड़े. सीबीआई जांच में इन खिलाड़ियों की संलिप्तता पाई गई, जिसके बाद बीसीसीआई ने उन पर प्रतिबंध लगाए. मनोज प्रभाकर ने कपिल देव का नाम भी लिया था, हालांकि बाद में उन पर कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ. इस घटना ने भारतीय क्रिकेट को हिला दिया था, लेकिन अब बीसीसीआई और आईसीसी की एंटी-करप्शन यूनिट्स खिलाड़ियों को जागरूक कर रही हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.

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भारतीय क्रिकेट में मैच फिक्सिंग की शुरुआत साल 2000 में हुई, जब दिल्ली पुलिस ने कुछ संदिग्ध कॉल्स को टैप करना शुरू किया. साउथ अफ्रीका टीम के भारत दौरे के दौरान मुंबई के एक होटल में रुके संजय चावला के फोन कॉल्स से यह मामला सामने आया. पुलिस ने पाया कि चावला लगातार क्रिकेट की बात कर रहे थे और एक कॉल में उन्होंने "हैलो हेन्सी" कहा, जिससे हेन्सी क्रोनिए का नाम सामने आया. क्रोनिए ने बाद में टीवी पर अपनी गलती स्वीकार की और उन पर लाइफटाइम बैन लगा. भारत में एमके गुप्ता के जरिए अजहरुद्दीन, अजय जडेजा, अजय शर्मा और मनोज प्रभाकर जैसे खिलाड़ियों के नाम भी फिक्सिंग से जुड़े. सीबीआई जांच में इन खिलाड़ियों की संलिप्तता पाई गई, जिसके बाद बीसीसीआई ने उन पर प्रतिबंध लगाए. मनोज प्रभाकर ने कपिल देव का नाम भी लिया था, हालांकि बाद में उन पर कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ. इस घटना ने भारतीय क्रिकेट को हिला दिया था, लेकिन अब बीसीसीआई और आईसीसी की एंटी-करप्शन यूनिट्स खिलाड़ियों को जागरूक कर रही हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.

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