पाकिस्तान क्रिकेट टीम के मौजूदा हालात पर चर्चा की गई है. यह बताया गया कि टीम का पतन सिस्टेमेटिक तरीके से हुआ है. इसकी तुलना वेस्टइंडीज क्रिकेट से की गई, जहाँ आइलैंड्स के एकीकरण में दिक्कतें थीं, लेकिन पाकिस्तान का मामला अलग है. श्रीलंका का उदाहरण भी दिया गया, जिसने नब्बे के दशक में तरक्की की. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) में राजनीतिक दखलंदाजी को इस पतन की मुख्य वजह बताया गया है. पीसीबी के संविधान के अनुसार, प्रधानमंत्री का दखल रहता है और ब्यूरोक्रेट्स भी इसे चलाते हैं. खिलाड़ियों के बीच एकता की कमी भी एक कारण है. एक टिप्पणी में कहा गया, "मुझे तो लगता है कि पाकिस्तान ने शायद क्रिकेट में अपना पीक देख लिया है।" आधुनिक क्रिकेट में जहाँ टीमें 270 रन बनाने की सोचती हैं, वहीं पाकिस्तान के कप्तान की सोच 170-180 रन बनाने की है. भारत-पाकिस्तान के मुकाबलों में पहले जैसी चिंगारी नहीं दिखती, जैसे एक मैच में हाथ न मिलाने और बाद में एक खिलाड़ी के बयान से ही उसमें जान आई. एशिया कप और टीम इंडिया के सफर का भी जिक्र किया गया.
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