Sheetal Devi: बिना हाथ तीरंदाजी में किया कमाल, वर्ल्ड चैंपियनशिप में चमकी कश्मीरी लड़की, भारत के लिए सिल्वर मेडल जीत रच डाला इतिहास

शीतल देवी भारत को अब पैरा वर्ल्ड चैंपियनशिप में बिना हाथों के सिल्वर मेडल दिलाने वाली पहली पैरा महिला आर्चर बन गई हैं.

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अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो अंदर तो मुसीबतों के पहाड़ को भी इंसान मिट्टी का ढेर साबित कर देता है. ये पंक्ति 16 साल की उम्र में भारत को पैरा वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल दिलाने वाली शीतल देवी के जीवन पर फिट बैठती हैं. वह बिना हाथों के तीरंदाजी करने वाली ना सिर्फ दुनिया की पहली महिला आर्चर बनीं थी. जबकि भारत को अब पैरा वर्ल्ड चैंपियनशिप में बिना हाथों के सिल्वर मेडल दिलाने वाली भी पहली पैरा महिला आर्चर बन गई हैं. अब जानते हैं कि कैसे शीतल ने जम्मू एंड कश्मीर से होते हुए तमाम मुसीबतों को दरकिनार कर पैरा वर्ल्ड चैंपियनशिप तक का सफर कैसे तय किया. 

फाइनल में मिली हार 


16 साल की शीतल देवी को पैरा वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में तुर्की की क्योर ओज्नुर के सामने कंपाउंड महिला ओपन इवेंट में 138-140 के स्कोर से हार का सामना करना पड़ा. जिससे सिल्वर मेडल ही वह जीत सकी. लेकिन अब उन्होंने इतिहास जरूर रच डाला है. जिससे उनका नाम सोशल मीडिया में सुर्ख़ियों पर छाया हुआ है.

 

6 महीने में हासिल की महारत 


शीतल का जन्म जम्मू कश्मीर में किश्तवाड़ जिले के गांव लोई धार में हुआ था. जन्म से ही शीतल के दोनों हाथ नहीं हैं. इसके बावजूद शीतल ने हार नहीं मानी और कुछ कर गुजरने की ठान ली. शीतल की किस्मत तब पलती जब करीब डेढ़ साल पहले सेना के एक अधिकारी ने कटरा स्थित माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड तीरंदाजी अकादमी के कोच कुलदीप वेदवान को शीतल के बारे में अवगत कराया. यहीं से शीतल के जीवन में तीरंदाजी का आगमन हुआ और उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

 

शीतल को नहीं होता है यकीन 


कुलदीप ने शीतल से मुलाकात की और उन्हें तीरंदाज बनाने की ठान ली. शीतल के लिए कुलदीप ने एक स्पेशल धनुष तैयार करवाया जिसे पैरों से चलाया जा सके. शीतल ने धनुष मिलते ही अपनी कड़ी मेहनत जारी रखी और 6 महीने के भीतर ही इस पर महारत हासिल कर डाली. शीतल ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें अभी भी ये सपने की तरह लगता है कि कैसे वह तीरंदाज बन गई हैं. डेढ़ साल पहले जब शीतल ने पैर से धनुष चलाना शुरू किया था. तब वह दुनिया की बिना हाथ वाली पहली महिला आर्चर बनीं थी. लेकिन वर्तमान में उनके जैसी 6 अन्य महिला तीरंदाज आगे आ चुकी हैं.

 

अमेरिकी खिलाड़ी के वीडियो से सीखी तीरंदाजी 


कुलदीप ने शीतल को छाती और पैर के इस्तेमाल से तीर चलाने के लिए अमेरिका के मैट स्टुट्जमैन के वीडियो दिखाए. जो बाद में खुद शीतल से मिलने आए थे और उन्होंने शीतल के धनुष में  कमियों को भी दूर किया था. पैरालिंपिक में पदक जीत चुके मैट की सलाह के बाद शीतल अब पूरे दुनिया में एक मिशाल बनकर सामने आई हैं. 

 

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