भारत और बांग्लादेश के बीच चेन्नई में खेले गए पहले टेस्ट से ठीक पहले भारतीय क्रिकेटर अभिनव मुकुंद की दादी का देहांत हो गया. इसके बाद भी वे इस टेस्ट का हिस्सा बने और उन्होंने जियो सिनेमा के लिए प्रजेंटर की भूमिका निभाई. मुकुंद ने भारतीय टीम की जीत के बाद इस अनुभव को साझा किया. उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए चेन्नई टेस्ट के उतार-चढ़ाव भरे सफर के लिए दिल खोल दिया. तमिलनाडु से आने वाले मुकुंद 2020 के बाद से बतौर खिलाड़ी क्रिकेट से दूर हैं. उन्होंने भारत के लिए टेस्ट खेले हैं लेकिन 2017 में आखिरी बार इस भूमिका में दिखे थे.
मुकुंद ने बताया कि भारत और बांग्लादेश के बीच चेन्नई टेस्ट से एक दिन पहले उनकी दादी का निधन हो गया था. ऐसे में वह नर्वस थे लेकिन चेपॉक स्टेडियम में उन्हें घर जैसा महसूस हुआ जिसकी वजह से उन्हें काम करने में कोई समस्या नहीं हुई. मुकुंद ने इंस्टाग्राम पर लिखी पोस्ट में प्रजेंटर के रूप में पहले असाइनमेंट के दौरान सबा करीम, पार्थिव पटेल और बांग्लादेश के तमीम इकाबल से मिली मदद का भी जिक्र किया. उन्होंने लिखा,
मेरी दादी के निधन के 24 घंटे से भी कम समय में मुझे बतौर एंकर पहली बार लाइव जाना था. क्रिकेटर से एक्सपर्ट बना और अब शो की मेजबानी करने को लेकर मैं नर्वस था. लेकिन चेपॉक में मुझे घर जैसा लगा और मैं इन चार दिनों से आगे निकल गया. मैंने लोकल बॉय आर अश्विन को नई ऊंचाइयों को हासिल करते और शेन वॉर्न के एक पारी में पांच विकेट लेने के रिकॉर्ड की बराबरी करते देखा. जियो सिनेमा पर इंग्लिश शो की मेजबानी कर मैंने ब्रॉडकास्टिंग करियर में एक और बॉक्स टिक किया. मैं पार्थिव पटेल, तमीम इकबाल का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने पूरे टेस्ट के दौरान मुझे शानदार सहयोगा दिया. सबा करीम भी शानदार रहे. मेरे पहले टेस्ट मैच में मजा आया, मुझे भरोसा है कि मेरी दादी भी देख रही होंगी कि मैं इस हड़बड़ी में भी शांत रहा. अब कानपुर की बारी.
मुकुंद ने भारत के लिए सात टेस्ट खेले. इनमें 22.86 की औसत से 320 रन बनाए. 81 रन उनका सर्वोच्च स्कोर रहा. मुकुंद ने 2011 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ डेब्यू किया था. उनका आखिरी टेस्ट 2017 में श्रीलंका के खिलाफ रहा.
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