पाकिस्तान के पूर्व कप्तान मिस्बाह उल हक को उनके खेलने के दिनों में टुक-टुक कहकर चिढ़ाया जाता है. आज भी सोशल मीडिया पर उनके लिए इससे जुड़े मीम्स पोस्ट किए जाते हैं. ऐसा उनकी बल्लेबाजी के चलते होता रहा है. अब मिस्बाह ने टुक टुक कहे जाने पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने बताया कि वह क्यों धीमा खेलते थे और इस तरह का विशेषण उनके लिए इस्तेमाल करने पर उन्हें कैसा लगता है. मिस्बाह ने काफी समय तक पाकिस्तान की कप्तानी की. इसमें 2015 वर्ल्ड कप भी शामिल है. वह बैटिंग ऑर्डर में फिनिशर की भूमिका में खेला करते थे.
मिस्बाह ने ए स्पोर्ट्स को दिए इंटरव्यू में कहा, 'मुश्किल होता है. आपको निराशा होती है और थोड़ा सा आप उस चीज़ को महसूस भी करते हैं. बिना हालात को जाने कि मैच की स्थिति कैसी है, टीम की हालत कैसी है, टीम में आपकी भूमिका कैसी है. मेरा बैकग्राउंड टेप बॉल क्रिकेट था जो मारधाड़ का क्रिकेट है तो तेजी से खेलता रहा हूं. दबाव वाले हालात में टीम की जरूरत को देखना होता है कि मैं कौनसा रोल निभा सकता हूं. नहीं तो जब स्टेज अच्छी मिलती थी तब वनडे और टेस्ट में 30 गेंद में 50 और 40 गेंद में 60 रन किए हैं. स्कोर को देखकर आपको खुद को बदलना होता है.'
कमाल का रहा है मिस्बाह का करियर
उन्होंने 36 साल की उम्र में पाकिस्तानी टीम की कप्तानी संभाली और 42 साल की उम्र तक यह जिम्मेदारी निभाई. वे टीम को टेस्ट में नंबर वन पॉजीशन तक लेकर गए थे. वे पाकिस्तान के सबसे सफल टेस्ट कप्तान रहे हैं और 26 टेस्ट जीते. 2015 वर्ल्ड कप में उनके नेतृत्व में टीम क्वार्टर फाइनल तक गई थी. 2007 में हुए पहले टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत के खिलाफ उन्होंने पाकिस्तान को जीत की दहलीज पर पहुंचा दिया था. लेकिन एक अलग तरह के शॉट के चलते वे आउट हो गए.
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