सचिन तेंदुलकर-रोहित शर्मा नहीं, विराट कोहली ने अपने साथ खेलने वाले इस खिलाड़ी को बताया सबसे टैलेंटेड क्रिकेटर

सचिन तेंदुलकर-रोहित शर्मा नहीं, विराट कोहली ने अपने साथ खेलने वाले इस खिलाड़ी को बताया सबसे टैलेंटेड क्रिकेटर
सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली और रोहित शर्मा

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विराट कोहली और एबी डिविलियर्स 11 साल साथ में खेले हैं

कोहली और डिविलियर्स बहुत अच्‍छे दोस्‍त हैं

विराट कोहली अपने 16 साल के लंबे इंटरनेशनल करियर भारत और विदेश के कुछ महानतम खिलाड़ियों के साथ खेले. वो सचिन तेंदुलकर, रोहित शर्मा, एमएस धोनी जैसे कई बेस्‍ट प्‍लेयर्स के साथ खेले. कोहली ने अपने साथ खेले सबसे टैलेंड खिलाड़ी में साउथ अफ्रीका के दिग्गज बल्‍लेबाज एबी डिविलियर्स को चुना. पूर्व प्रोटियाज कप्तान को  ICC हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया, जिसके बाद कोहली ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु टीम के अपने पूर्व साथी की तारीफ की. 

कोहली और डिविलियर्स काफी गहरे दोस्‍त हैं. दोनों 2011 से 2021 तक आईपीएल के 11 सीजन साथ में खेले. डिविलियर्स कोहली की कप्‍तानी में भी खेले. उनकी कप्‍तानी में डिविलियर्स ने आईपीएल इतिहास की कुछ यादगारी पारियां खेली. कोहली ने आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल होने के लिए डिविलियर्स की तारीफ की. आईसीसी ने डिविलियर्स के लिए लिखे कोहली के एक लेटर को पब्लिश किया, जिसे भारतीय बल्‍लेबाज ने लिखा- 

आप अपनी जगह के पूरी तरह हकदार हैं. आखिरकार हॉल ऑफ फेम इस खेल पर आपके प्रभाव का प्रतिनिधित्व करता है और आपका योगदान वाकई अद्भुत रहा है. लोग हमेशा आपकी क्षमता के बारे में बात करते रहे हैं और यह सही भी है. आप सबसे प्रतिभाशाली क्रिकेटर हैं, जिनके साथ मैं खेला, आप निश्चित रूप से नंबर एक हैं. बहुत से खिलाड़ी प्रभावशाली प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन बहुत कम खिलाड़ी दर्शकों की मानसिकता पर प्रभाव डाल पाते हैं. 

कोहली ने आगे कहा- 

मेरे लिए एक क्रिकेटर के रूप में यह सबसे बड़ा मूल्य है और यही आपको इतना खास बनाता है. आपके साथ और आपके खिलाफ खेलने के दौरान आपको हमेशा इस बात की बहुत साफ समझ थी कि खेल कैसे खेला जाना चाहिए और आप कभी भी इससे डरे नहीं, चाहे आप अच्छा प्रदर्शन कर रहे हों या नहीं.

कोहली ने आगे कहा कि डिविलियर्स ऐसे खिलाड़ी हैं जो अक्सर अपनी टीम को मुश्किलों से उबारते हैं.  उन्होंने कहा- 

ये कभी किसी और के बारे में नहीं था. यह कभी किसी दूसरे खिलाड़ी के साथ प्रतिस्पर्धा करने के बारे में नहीं था. ये हमेशा इस बारे में था कि आप टीम के लिए क्या प्रभाव डाल सकते हैं. मुश्किल परिस्थितियों में आप अक्सर अपनी टीम को उबारने वाले व्यक्ति होते थे. अपनी टीम के लिए खेल जीतने वाले व्यक्ति बनने की आपकी इच्छा जबरदस्त थी और मैंने इससे बहुत कुछ सीखा. 

हर कोई आपके आक्रामक शॉट को याद करता है, लेकिन आप परिस्थिति के हिसाब से खुद को ढाल लेते हैं. 2015 में दिल्ली में खेले गए टेस्ट मैच को ही लें, जब आपने 297 गेंदों का सामना किया और टेस्ट मैच बचाने की कोशिश में 43 रन बनाए. किसी समय आपके मन में ये विचार आया होगा कि मैंने 200 गेंदों का सामना किया है तो मुझे बाउंड्री लगानी चाहिए, लेकिन एक बार जब आपने खुद को उस स्थिति में डाल लिया जिसकी जरूरत थी तो आप बस आगे बढ़ते रहे. 

उन्होंने आगे कहा-  

ये सब आपकी क्षमता पर विश्वास पर निर्भर करता है. यह सिर्फ अंधाधुंध शॉट के बारे में नहीं था. आपके पास गेंद को बचाने की क्षमता थी और उस डिफेंस पर आपको भरोसा था. साउथ अफ्रीका की जरूरत के अनुसार इस तरह खेलना, आपके टीम खिलाड़ी होने का एक बेहतरीन उदाहरण है. 

 

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