टीम इंडिया के लेजेंड राहुल द्रविड़ ने अपने करियर को लेकर अहम बयान दिया है. द्रविड़ ने कहा कि, अगर उन्हें मौका मिले तो वो अपने करियर में दो मैचों का रिजल्ट बदलना चाहेंगे. आर अश्विन के साथ उनके यूट्यूब चैनल पर बात करते हुए द्रविड़ ने एक वनडे और एक टेस्ट मैच चुना. द्रविड़ टीम इंडिया की कई मशहूर जीत का हिस्सा रहे हैं. ऐसे में द्रविड़ ने कहा कि दो मैच ऐसे थे जिसमें टीम को हार मिली थी और वो इन दो मैचों का ही नतीजा बदलना चाहेंगे.
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इन दो मैचों का नतीजा बदलना चाहते हैं द्रविड़
अश्विन के साथ बातचीत में द्रविड़ ने कहा कि, साल 1997 में हम बारबाडोस गए. वेस्टइंडीज के खिलाफ मेरा वो पहला दौरा था. पिच बेहद मुश्किल थी. निचले क्रम के कुछ बल्लेबाजों ने इस दौरान 50-60 रन जोड़े. हमें 120 रन चेज करने थे और हम 80 पर आउट हो गए. हम वो मैच जीत जाते तो हम सीरीज जीत जाते.
वहीं द्रविड़ ने यहां एक और मैच का जिक्र किया और कहा कि, साउथ अफ्रीका में साल 2003 वनडे वर्ल्ड कप का फाइनल. हमने टॉस जीता और आसमान में बादल थे. हमने सही फैसला लिया था. ऑस्ट्रेलिया ने काफी अच्छी बल्लेबाजी की थी. ऐसे में हम ये फैसला बदल सकते थे.
इन दो मैचों की बात करें तो बारबाडोस में सचिन तेंदुलकर टीम के कप्तान थे. चौथी पारी में टीम इंडिया 120 रन के लक्ष्य का पीछा कर रही थी लेकिन पूरी टीम 81 रन पर ढेर हो गई. भारत की ये हार आज भी चुभती है. द्रविड़ ने पहली पारी में 78 रन ठोके थे और भारत ने 21 रन की लीड ली थी. लेकिन चौथी पारी में वो दो रन पर आउट हो गए. सिर्फ लक्ष्मण ने ही इस पारी में सबसे ज्यादा 19 रन बनाए थे. वहीं 2003 वर्ल्ड कप की बात करें तो सौरव गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम ने टूर्नामेंट के सभी मैचों पर कब्जा किया था. लेकिन अंत में टीम एक मैच हार गई जो फाइनल मैच था. रिकी पोंटिंग की टीम ने भारत को 125 रन से हराया था. ऑस्ट्रेलिया ने 359 रन बनाए थे और पोंटिंग ने 140 रन. द्रविड़ ने इस मैच में 47 रन की पारी खेली थी.