कच्ची छत वाले एक कमरे के घर से निकलकर बनी वर्ल्ड चैंपियन, गजब है भारत की इस बेटी की कहानी

भारत की अंडर 19 महिला क्रिकेट टीम ने टी20 वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रचा.

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भारत की अंडर 19 महिला क्रिकेट टीम ने टी20 वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रचा. पहली बार महिला युवा ब्रिगेड ने वर्ल्ड कप ट्रॉफी भारत की झोली में डाली. अंडर-19 महिला T20 वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत ने इंग्लैंड को सात विकेट से हराकर वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की फ़लक नाज़ भी इस चैंपियन टीम का हिस्सा रही. उन्हें वर्ल्ड कप में खेलने का मौका नहीं मिला. हालांकि टूर्नामेंट से पहले प्रैक्टिस मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वह खेली थीं. इसमें उन्होंने तीन ओवर में केवल 11 रन दिए थे. विकेट उन्हें नहीं मिल पाया था.

 

फ़लक दाएं हाथ की मध्यम तेज गेंदबाज हैं और वह मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी करती हैं. पिछले साल न्यूजीलैंड के साथ मुंबई में हुई पांच  टी-20 मैचों की सीरीज में फलक को चुना गया था. वर्ल्ड कप से पहले साउथ अफ्रीका के खिलाफ पांच मैच की सीरीज में भी वह खेलीं. यहां दो मैच में उन्हें मौका मिला. इनमें उन्होंने चार विकेट लिए थे.

 

फ़लक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता एक जूनियर हाई स्कूल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर कार्यरत हैं. लेकिन मुफलिसी के बावजूद परिवार ने बेटी के सपने को पूरा करने के लिए जी तोड़ मेहनत की और आज उनका सपना पूरा हुआ. फ़लक की मां जीनत बानो गृहणी हैं. फलक की एक छोटी बहन और एक बड़ा भाई भी. बड़े भाई ने परिवार की आर्थिक मदद के लिए पढ़ाई छोड़ दी. वे साइकिल रिपेयरिंग का काम करते हैं. परिवार यमुना नदी के किनारे टिन के चद्दर की छत वाले घर में रहता है.

 

9-10 घंटे तक की प्रैक्टिस

फ़लक ने स्पोर्ट्स तक से बातचीत में कहा, 'बचपन से ही बॉलिंग करने का शौक रहा है. नौ-10 घंटे तक प्रैक्टिस किया करते थे. मम्मी-पापा का बहुत सपोर्ट मिला. मम्मी ने कभी घर का काम करने के लिए नहीं कहा. हमेशा खेलने और पढ़ने के लिए ही कहा. पापा दिन-रात ड्यूटी किया करते थे ताकि मैं खेल सकूं. क्रिकेट को अफॉर्ड करना मुश्किल होता है. इसमें किट वगैरह काफी महंगी आती हैं. हरेक चीज के लिए इंतजार करना होता था. जो भी चाहिए होता था वो काफी समय बाद मिलता था. क्योकि घर की हालत ऐसी नहीं थी.'

 

कोच ने नहीं ली फीस

फ़लक ने 12 साल की उम्र में एकेडमी जॉइन की. हरिसिंह यादव ने उन्हें कोचिंग दी. उन्होंने फलक से फीस भी नहीं ली. फलक ने बताया, 'उन्होंने बस यह कहा कि तू खेल. अपनी बॉलिंग कर. तू अच्छी बॉलर है. आगे जाएगी. बस इसके बाद रास्ता बनता गया.' 29 जनवरी को जब भारत ने साउथ अफ्रीका की धरती पर वर्ल्ड कप जीता तो फ़लक का परिवार भी खुशी से झूम उठा. परिवार वालों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी मनाई. परिजनों का सपना है कि फ़लक अपने खेल में सुधार करते हुए सीनियर टीम में जगह बनाए और देश के लिए वर्ल्ड कप जीते.

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