भारत और ऑस्ट्रेलिया पांच टेस्ट की सीरीज में तीन मुकाबलों के बाद 1-1 की बराबरी पर है. इसके साथ ही दोनों टीमों के पास सीरीज जीतने और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में जाने का मौका बना हुआ है. हालांकि इसके लिए सिडनी में होने वाले पांचवें टेस्ट का नतीजा भी अहम होगा. लेकिन भारतीय टीम अगर मेलबर्न में खेले जाने वाले चौथे टेस्ट को जीत लेती है तब वह पैट कमिंस और उनकी ऑस्ट्रेलियाई टीम को एक जोर का झटका दे सकती है. इसके बाद अगर भारत सिडनी टेस्ट में हार जाता है तब भी ऑस्ट्रेलिया उस झटके से उबर नहीं पाएगी.
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यह है बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी. भारत अगर आखिरी दो में से एक टेस्ट भी जीतता है तब यह ट्रॉफी उसके पास ही रहेगी. अगर दोनों टेस्ट जीत लेता है तब तो ट्रॉफी के साथ डब्ल्यूटीसी फाइनल में भी दाखिला मिल सकता है. ऑस्ट्रेलिया को बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी जीतनी है तो सीरीज अपने नाम करनी होगी. इसके बराबर रहने पर वह ट्रॉफी नहीं ले पाएगा. 2014-15 के बाद से वह यह कामयाबी हासिल नहीं कर पाया है. उसे भारत में तो कई सालों से टेस्ट सीरीज में जीत नहीं मिली है. उल्टा वह 2018-19 और 2020-21 में अपने घर पर भी भारत के हाथों टेस्ट सीरीज हार गया. इससे बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 10 साल से भारत के पास ही है.
ऑस्ट्रेलिया मददगार मैदानों पर भी भारत से नहीं हो सका आगे
बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी की वर्तमान सीरीज के शुरू होने से पहले मेजबान खिलाड़ियों ने उस बारे में खूब बात की थी और लगभग सबने ही कहा था यह चीज उनके निशाने पर है. ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस ने कहा था कि उनकी टीम के कुछ खिलाड़ियों ने यह ट्रॉफी नहीं जीती है. वे चाहेंगे कि इसे भी जीता जाए. लेकिन पर्थ, एडिलेड और ब्रिस्बेन टेस्ट के बाद अब ऑस्ट्रेलिया के लिए ऐसा कर पाना बहुत मुश्किल हो सकता है. जिन तीन जगहों पर टेस्ट हो चुके हैं वहां पर भारत के आंकड़े कमजोर थे और ऑस्ट्रेलिया दमदार था. लेकिन यहां पर भारतीय टीम ने एक टेस्ट जीत लिया और एक ड्रॉ करा लिया.
भारत का मेलबर्न-सिडनी में अच्छा रिकॉर्ड
मेलबर्न और सिडनी में पांच टेस्ट की सीरीज के आखिरी मुकाबले होंगे. यहां पर भारत ने पिछले कुछ सालों में अच्छा खेल दिखाया है. 2018 और 2020 में उसने मेलबर्न में टेस्ट जीते हैं. वहीं पिछले दो दौरों पर भारत ने सिडनी में टेस्ट ड्रॉ कराया है. इस दौरान 2019 में तो टीम इंडिया जीत के करीब थी लेकिन बारिश के चलते मैच बेनतीजा रहा. वहीं पिछले दौरे पर हनुमा विहारी और आर अश्विन ने चोटों के बाद भी मैच बचाया था. अगर तब पूरे फिट खिलाड़ी भारत के पास होते तो नतीजा पक्ष में जा सकता था क्योंकि जीत केवल 73 रन ही दूर थी.
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