धोनी पर सहवाग का बड़ा खुलासा, कहा- टीम से निकाले जाने के बाद लेना चाहता था संन्‍यास, लेकिन तभी सचिन ने...

रिटायरमेंट के लगभग 7 साल के बाद भी वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) को क्रिकेट के सबसे खतरनाक बल्लेबाजों में गिना जाता है.

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रिटायरमेंट के लगभग 7 साल के बाद भी वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) को क्रिकेट के सबसे खतरनाक बल्लेबाजों में गिना जाता है. आने वाले लंबे समय तक उनके जैसा कोई बल्लेबाज हमें शायद ही देखने को मिले. लेकिन उनके जीवन में एक दौर ऐसा भी था जब वह क्रिकेट छोड़ने के बारे में सोचने लगे थे. बात है ऐतिहासिक 2008 कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज की. सहवाग ने 3-4 मुकाबलों में रन स्कोर नहीं किए थे जिस वजह से उस वक्त के भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (Ms Dhoni) ने उन्हें प्लेइंग 11 से ड्रॉप कर दिया था. 


मैच पार्टी में किया खुलासा

क्रिकेट वेबसाइट क्रिकबज पर चल रही एक मैच पार्टी में सहवाग ने कहा कि, “2008 में हम ऑस्ट्रेलिया में थे जब यह ख्याल मेरे मन में आया. मैंने टेस्ट सीरीज में शानदार वापसी की थी. मैंने एक पारी में 150 रन बनाए थे. लेकिन एकदिवसीय मैचों में 3-4 मैचों में मै स्कोर नहीं कर सका. धोनी ने मुझे प्लेइंग 11 से ड्रॉप कर दिया था और तब मैंने सोचा कि अब से मैं सिर्फ टेस्ट क्रिकेट ही खेलूंगा.”


खराब स्कोर के बाद हुए ड्रॉप  

सहवाग ने उस सीरीज में भारत के लिए सिर्फ 10 में से 5 मुकाबले ही खेले थे. सहवाग ने शुरुआती 4 मैचों में 6, 33, 11 और 14 रन ही स्कोर किए थे जिसके चलते उन्हें टीम से ड्रॉप किया गया था. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्हें फिर से मौका दिया गया लेकिन उस मैच में भी वह कुछ खास नहीं कर सके. 


सचिन ने दी सलाह 

सहवाग ने बताया कि वह वनडे क्रिकेट छोड़ने का पूरा मन बना चुके थे, लेकिन सचिन तेंदुलकर ने उन्हें रोक लिया. सचिन ने सहवाग से कहा था कि, “यह बस आपकी जिंदगी का एक खराब दौर है. थोड़ा समय लीजिए फिर सोचिए कि क्या करना है.”सहवाग ने इसके बाद पीछे मुड़ कर नहीं देखा और भारत की 2011 विश्व कप जीत में भी योगदान दिया.


विराट करेंगे खुद को साबित

सहवाग से विराट कोहली के बारे में भी पूछा गया कि, उनके बैट से बहुत लंबे वक्त से रन नहीं आए हैं तो क्या उन्हें ब्रेक लेने के बारे में अब सोचना चाहिए? इसके जवाब में सहवाग ने कहा कि मैदान पर 2 तरह के खिलाड़ी होते हैं. पहले जिन्हें लोगों के कहने से कोई फर्क नहीं पड़ता और दूसरे जो सभी आलोचनाओं को ध्यान से सुनते हैं और खुद को साबित करते हैं. विराट दूसरे प्रकार के खिलाड़ी हैं. उन्हें थोड़ा समय दें और वह खुद को साबित करके दिखाएंगे. 


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