Paris 2024 Olympics: ओलिंपिक में खाने के लिए तरसे भारतीय निशानेबाज तो पाकिस्‍तानी रेस्‍टोरेंट का मिला सहारा, जानिए पेरिस ओलिंपिक की रोचक कहानी

भारतीय निशानेबाज पेरिस ओलिंपिक में अच्‍छे खाने के लिए तरस गए थे. ऐसे में निशानेबाजों ने वहां खाने के लिए एक पाकिस्‍तानी रेस्‍टारेंट खोज लिया है. 

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किरण सिंह

ओलिंपिक एथलीट विलेज में भारतीय निशानेबाजों को अच्‍छा खाना नहीं मिल रहा है

ओलिंपिक एथलीट विलेज में भारतीय निशानेबाजों को अच्‍छा खाना नहीं मिल रहा है

Highlights:

ओलिंपिक में अच्‍छे खाने के लिए तरसे भारतीय निशानेबाज

अच्‍छे खाने के लिए पाकिस्‍तानी रेस्‍टोरेंट का किया रुख

पेरिस ओलिंपिक में हिस्‍सा लेने गए भारतीय निशानेबाजों को वहां अच्‍छे खाने के लिए जूझना पड़ रहा है. निशानेबाजों को एथलीट विलेज में पसंदीदा खाना नहीं मिल रहा है. जिस वजह से प्‍लेयर्स अपना पसंदीदा खाना ढूंढने के लिए मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. खिलाड़ियों के लिए यहां दो ‘एथलीट गांव’ हैं, लेकिन दोनों में ही भारतीयों को अपना पसंदीदा भोजन नहीं मिला. कुछ निशानेबाज लोकल साउथ एशियाई रेस्तरां पर निर्भर हैं, जबकि कुछ ने अपना खाना खुद बनाया. 

 

चेटेरोक्स में अच्‍छे खाने के लिए जूझ रहे भारतीय निशानेबाजों को पाकिस्‍तानी रेस्‍टोरेंट का सहारा मिला. दरअसल एथलीट में परोसे गए भोजन से भारतीय निशानेबाज खुश नहीं हैं, ऐसे में उन्‍हें एथलीट गांव से बाहर अच्‍छे खाने की तलाश में निकलना पड़ा, जहां उन्‍हें  पाकिस्तानी रेस्‍टोरेंट मिला. भारतीय निशानेबाजी दल को दाल और चावल जैसे सादे भारतीय भोजन से ही काम चलाना पड़ता है, जबकि बाकी खान कॉन्टिनेंटल होता है. वेजिटेरियन में सबसे कम विकल्प होते हैं. 

 

ऑनलाइन की रेस्‍टारेंट की तलाश

 

ऐसे में टीम ने ऑनलाइन कुछ अच्‍छे रेस्‍टोरेंट की तलाश की और उन्‍हें एक रेस्‍टोरेंट मिला, जो पाकिस्‍तान के आतिफ नौमान चलाते हैं.  Tribune की खबर के अनुसार पृथ्वीराज टोंडिमन, श्रेयसी सिंह और राजेश्वरी कुमारी की ट्रैप टीम और राइफल टीम के कुछ निशानेबाज उस रेस्‍टोरेंट में कम से कम एक फुल मील खाते हैं. रेस्‍टोरेंट के मालिक नौमान भी भारतीय निशानेबाजों की मेजबानी करके काफी खुश हैं. उनका कहना है-  

 

वे पिछले कुछ दिनों से यहां आ रहे हैं. अच्छा लग रहा है, भारतीय हैं, जुबान अपनी है, गप शप भी हो जाती है इसी बहाने.

 

अपार्टमेंट में बनाया खाना

 

वहीं पीटीआई को पिस्टल कोच जसपाल राणा ने बताया था-

 

हम तो खुद बनाते हैं. बीते दिन मैंने राजमा चावल खाया. किराने की दुकान से जरूरी सामान खरीदा और अपने अपार्टमेंट में बनाया.


कुछ अन्य निशानेबाज पेरिस में खेल गांव की चहल पहल की कमी महसूस कर रहे हैं. वे पेरिस में ही रहना पसंद करते. एक भारतीय निशानेबाज ने कहा, ‘

 

शूटिंग रेंज खूबसूरत है, मैं मुख्य खेल गांव से दूर रहकर थोड़ा परेशान हूं. यहां रहने की व्यवस्था ऐसी नहीं है जैसी मैंने सोची थी, लेकिन मैं प्रतियोगिता और जीतने के लिए यहां हूं.

 

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