पेरिस में होने वाले 2024 ओलिंपिक भारत के लिए खास हैं, क्योंकि भारत की ओलिंपिक की कहानी इसी जगह से शुरू हुई थी. साल 1896 में हुए पहले आधुनिक ओलिंपिक खेलों में भारत नजर नहीं आया था, मगर पेरिस में भारत ने ओलिंपिक में डेब्यू किया. जानें हैं भारत की “दी ओलिंपिक स्टोरी” के बारे में.
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पेरिस ओलिंपिक में भारत ने रचा इतिहास
भारत ने पहली बार साल 1900 में ओलिंपिक खेलों में हिस्सा लिया. पेरिस में हुए ओलिंपिक खेलों में भारत की ओर मात्र एक एथलीट ने चुनौती पेश की. ब्रिटिश मूल के एथलीट नॉर्मन प्रिचर्ड ने भारत के लिए पहले ही ओलिंपिक में दो मेडल जीते थे. उन्होंने 200 मीटर की स्प्रिंट और 200 मीटर हर्डल इवेंट में भारत को दो सिल्वर मेडल दिलाए थे. प्रिचर्ड ओलिंपिक मेडल जीतने वाले पहले एशियाई एथलीट भी बने.
1920 में पहली बार भारतीय दल की हिस्सेदारी
साल 1900 के पेरिस ओलिंपिक के 20 सालों बाद भारत ने फिर से इन खेलों में भाग लिया. 1920 में बेल्जियम के एंटवर्प में हुए ओलिंपिक में भारत ने पहली बार अपने दल को भेजा. इसमें 5 एथलीट्स शामिल थे, जिनमें तीन खिलाड़ियों ने एथलेटिक्स के इवेंट्स में हिस्सा लिया और दो एथलीट्स ने कुश्ती में अपनी चुनौती पेश की. हालांकि, भारत को इस ओलिंपिक में बिना किसी मेडल के संतोष करना पड़ा था.
नोरा पोली ओलिंपिक खेलने वाली पहली भारतीय महिला
1924 के पेरिस ओलिंपिक खेलों में भारत की तरफ से पहली महिला एथलीट ने हिस्सा लिया. नोरा पोली ने टेनिस में भारत का प्रतिनिधित्व किया. हालांकि, वो कोई मेडल नहीं जीत सकीं. आजाद भारत की बात करें तो 1952 में निलिमा घोष भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महिला एथलीट बनीं.
1928 में भारतीय हॉकी के स्वर्णिम युग की शुरुआत
भारत के लिए ओलिंपिक में सुनहरे दौर की शुरुआत 1928 के एम्स्टरडैम ओलिंपिक खेलों से हुई. भारतीय हॉकी टीम ने अपना दबदबा कायम करते हुए भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाया. हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की अगुआई वाली इंडियन हॉकी टीम ने उस टूर्नामेंट में 29 गोल दागे, लेकिन विपक्षी टीमों को एक भी गोल नहीं दागने दिया. इसके बाद 1932,1936 के ओलिंपिक में भारतीय हॉकी का जादू सिर चढ़कर बोला. भारत ने लगातार तीन ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर हैट्रिक लगा दी.
लगातार 10 ओलिंपिक में भारतीय हॉकी का दबदबा
1928 में पहले गोल्ड मेडल के बाद भारतीय हॉकी को मेडल जीतने की आदत पड़ गई. 1956 के ओलिंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीतकर भारतीय हॉकी ने लगातार छठे स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया. 1972 तक दस ओलिंपिक में भारतीय हॉकी ने मेडल टैली में अपना नाम दर्ज कराकर इतिहास रच दिया.
1952 में पहला व्यक्तिगत ओलिंपिक मेडल
भारत को अपना पहला व्यक्तिगत ओलिंपिक मेडल आजादी के बाद मिला. 1952 में हेलसिंकी में हुए ओलिंपिक में केडी जाधव ओलिंपिक में व्यक्तिगत मेडल जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने. खाशाबा दादासाहेब जाधव (केडी जाधव) ने फ्री स्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा. हालांकि, 1900 के पेरिस ओलिंपिक में नॉर्मन प्रिचर्ड ने मेडल जीता था, लेकिन वो ब्रिटिश मूल के थे.
कर्णम मल्लेश्वरी ने रचा इतिहास
भारत के ओलिंपिक सफर में 100 सालों के इंतजार के बाद पहली बार किसी महिला एथलीट ने मेडल जीता. साल 2000 में सिडनी ओलिंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने वेटलिफ्टिंग में कांस्य पदक जीता. 69 किलोग्राम वर्ग में ओलिपिंक मेडल जीत कर्णम ने नए दौर की शुरुआत की.
ब्रिंदा के नाम पहला व्यक्तिगत गोल्ड मेडल
2008 के बीजिंग ओलिंपिक भारत के लिए खास रहा. अब तक टीम इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत ने पहली बार व्यक्तिगत गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया. अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में स्वर्ण पदक जीतकर सनसनी मचा दी.
2020 टोक्यो ओलिंपिक में नीरज चोपड़ा का धमाल
साल 2020 मे टोक्यो में खेला गया ओलिंपिक भारत के लिए सबसे सफल रहा. भारत ने 1 स्वर्ण, 2 रजत और 4 कांस्य सहित कुल 7 मेडल अपनी झोली में डाले. इस ओलिंपिक के भारत ने अपने सबसे बड़े दल (126 एथलीट्स) को भेजा था. नीरज चोपड़ा ने जैवेलिन थ्रो में भारत के लिए सोना जीता. नीरज ट्रैक एंड फील्ड में भारत के लिए ओलिंपिक मेडल जीतने वाले पहले खिलाड़ी हैं. भले ही नॉर्मन प्रिचर्ड ने साल 1900 में ट्रैक एंड फील्ड में मेडल जीता था, लेकिन वो ब्रिटिश मूल के थे. इसलिए, भारत के लिए इस कैटेगरी में मेडल जीतने का श्रेय नीरज चोपड़ा को जाता है.
ओलिंपिक में भारत के नाम 35 मेडल
साल 1920 के ओलिंपिक के बाद से सभी समर ओलिंपिक खेलों में भाग लेने वाले भारत ने अबतक कुल 35 मेडल जीते हैं. इसमें 10 गोल्ड मेडल, 9 सिल्वर मेडल और 16 ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं. भारत ने सबसे अधिक मेडल हॉकी में जीते हैं. इसमें भारत ने 8 गोल्ड सहित 12 मेडल अपनी झोली में डाले हैं. इसके बाद शूटिंग में भारत के नाम 1 गोल्ड सहित 4 मेडल हैं.
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