Rohan Bopanna Retirement : भारत के दिग्गज टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना ने ओलिंपिक और भारत के लिए टेनिस खेलने से संन्यास का ऐलान कर दिया है. हालांकि इससे पहले वह भारत के लिए डेविस कप से भी संन्यास ले चुके हैं. 44 साला के बोपन्ना पेरिस ओलिंपिक 2024 की मेंस डबल्स स्पर्धा में भारत के लिए एन श्रीराम बालाजी के साथ जोड़ी बनाकर कोर्ट में उतरे. लेकिन पहले ही राउंड में भारतीय जोड़ी को एडवर्ड रोजर वासेलिन और गेल मोनफिल्स की फ्रांसीसी जोड़ी से 5-7 और 2-6 से हार मिली तो इसके साथ ही अब बोपन्ना का ओलिंपिक में सफर समाप्त हो गया. बोपन्ना ने पहले राउंड में मिलने वाली हार के बाद अब कहा कि वह फिर कभी भारतीय जर्सी में खेलते नजर नहीं आएंगे और उन्होंने भारत के लिए अपना आखिरी मुकाबला खेल लिया है.
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रोहन बोपन्ना ने क्या कहा ?
साल 2024 की शुरुआत में ही ऑस्ट्रेलिया ओपन ग्रैंडस्लैम के डबल्स का खिताब अपने ऑस्ट्रेलियाई जोड़ीदार मैथ्यू एबडन के साथ जीतने वाले बोपन्ना ने ओलिंपिक और सभी तरह के उन टूर्नामेंट से जिसमें भारत की जर्सी में खेलना होता है. उसको लेकर कहा,
ये निश्चित रूप से देश के लिए मेरा आखिरी टूर्नामेंट था. मैं पूरी तरह से समझता हूं कि मैं किस स्थिति में हूं. मैं अब जब खेल सकूंगा तब टेनिस का लुत्फ उठाउंगा.
एशियन गेम्स नहीं खेलेंगे बोपन्ना
बोपन्ना ने ये जवाब तब दिया, जब उनसे अगले साल 2026 में होने वाले एशियन गेम्स में भारत के लिए खेलने पर सवाल किया गया था. अब बोपन्ना के जवाब से जाहिर है कि वह अगले साल एशियन गेम्स से बाहर रहेंगे.
1996 से जारी मेडल का सूखा
वहीं ओलिंपिक में भारत के लिए टेनिस में साल 1996 के बाद से मेडल का सूखा जारी है. दिग्गज लिएंडर पेस ने अटलांटा ओलंपिक के पुरुष सिंगल्स में कांस्य पदक भारत को दिलाया था. इसके बाद बोपन्ना 2016 में इस सूखे को खत्म करने के काफी करीब आए थे लेकिन मिक्स्ड डबल्स में उनकी और सानिया मिर्जा की जोड़ी चौथे स्थान पर रही थी.
रोहन बोपन्ना ने ओलिंपिक में अपने सफर की समाप्ति का ऐलान करते हुए आगे कहा,
मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं दो दशकों तक भारत के लिए टेनिस खेल सकूंगा.मैंने साल 2002 में करियर का आगाज किया था और 22 साल बाद भी भारत के लिए खेलने का मौका मिला. जिस पर मुझे काफी गर्व है. इस सफर में पहला ग्रैंस्लैम जीतना और डबल्स में वर्ल्ड नम्बर वन जोड़ी का हिस्सा बनना एक बड़ी उपलब्धि मेरे लिए रही है. मैं अपनी पत्नी का आभारी हूं, जिन्होंने इस सफर में मेरा काफी साथ दिया और कई बलिदान भी दिए हैं.
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