'भगवान मुझे बचा सकते थे, मैंने लाखों बार...', वर्ल्‍ड शतरंज चैंपियन बनने के बाद दर्द में क्‍यों हैं डी गुकेश? खुद किया बड़ा खुलासा

वर्ल्‍ड चैंपियन बनने के एक दिन बार डी गुकेश ने अपने हाथों से ट्रॉफी उठाई, जिसके बाद उन्‍होंने अपने दिल की बात कही.

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वर्ल्‍ड चेस चैंपियनशिप ट्रॉफी के साथ डी गुकेश

वर्ल्‍ड चेस चैंपियनशिप ट्रॉफी के साथ डी गुकेश

Highlights:

डी गुकेश इतिहास के सबसे युवा वर्ल्‍ड चेस चैंपियन बन गए हैं.

उन्‍होंने डिंग लिरेन को हराकर खिताब जीता.

एक दिन बाद गुकेश ने ट्रॉफी उठाई

डी गुकेश इतिहास के सबसे युवा वर्ल्‍ड शतरंज चैंपियन बन गए हैं.उन्‍होंने 14वीं बाजी में डिंग लिरेन को हराकर 18 साल  की उम्र में खिताब जीता.जीत के अगले दिन यानी शुक्रवार को उन्‍होंने वर्ल्‍ड चैंपियनशिप की ट्रॉफी अपने हाथों में उठाई.इसके बाद उन्‍होंने खुलासा किया कि वो आंखों के दर्द से जूझ रहे थे. गुकेश वर्ल्‍ड चैंपियन बनने वाले विश्वनाथन आनंद के बाद दूसरे भारतीय हैं.


जीत के बाद गुकेश के अगले दिन की सुबह की शुरुआत ट्रॉफी की एक झलक पाने से हुई, जिसे उन्होंने छूने से इनकार कर दिया,क्योंकि वे शाम को समापन समारोह तक इंतजार करना चाहते थे.फिडे (इंटरनेशनल चेस फेडरेशन) के अध्यक्ष अर्काडी ड्वोर्कोविच के ट्रॉफी दिए जाने के बाद गुकेश ने आखिरकार ट्रॉफी को अपने हाथों में लिया.ट्रॉफी उठाने के बाद  गुकेश ने अपने दिल की बात कही और कहा-ये पल ऐसा लग रहा है जैसे मैंने इसे लाखों बार जी लिया है.हर सुबह जब मैं जागता था तो ये पल ही मेरे जागने का कारण होता था. इस ट्रॉफी को थामना और ये वास्तविकता मेरे जीवन में किसी भी चीज से ज्यादा मायने रखती है.

युवा खिलाड़ी ने स्वीकार किया कि नींद की कमी के कारण उनकी आंखें जल रही थीं, लेकिन उन्हें बहुत अच्छा लग रहा था.उन्होंने लगातार कई कार्यक्रमों में भाग लिया और सैकड़ों ऑटोग्राफ दिए. फिडे समापन समारोह में कहा- 

ये यात्रा किसी सपने से कम नहीं रही. इसमें कई उतार-चढ़ाव आए, कई चुनौतियां आईं, लेकिन मैं इसमें एक भी बदलाव नहीं करना चाहता, क्योंकि ये मेरे साथ रहे लोगों की वजह से खूबसूरत रहे.

उन्होंने चुनौती देने के लिए अपने प्रतिद्वंद्वी, उनके पेरेन्‍ट्स, उनकी टीम, मेजबान देश और पिछले तीन हफ्तों में मिले कई नए प्रशंसकों और भगवान के प्रति आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा- 

जब मुझे समाधान नहीं दिख रहा था तो भगवान मुझे बचा सकते थे और रास्ता दिखा सकते थे.

 

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