'वहां नहीं जाना, बहुत मुश्किल था', रोहित शर्मा को याद दिलाया वर्ल्ड कप से जुड़ा 12 साल पुराना दर्द तो हुए भावुक, जानिए क्या कहा

'वहां नहीं जाना, बहुत मुश्किल था', रोहित शर्मा को याद दिलाया वर्ल्ड कप से जुड़ा 12 साल पुराना दर्द तो हुए भावुक, जानिए क्या कहा
रोहित शर्मा चौथे भारतीय कप्तान हैं जो टीम इंडिया को वर्ल्ड कप फाइनल में लेकर गए हैं.

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भारत ने 2011 वर्ल्ड कप की मेजबानी की थी और तब रोहित शर्मा स्क्वॉड से बाहर रहे थे.अब रोहित शर्मा की कप्तानी में ही भारत 12 साल वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचा है.

रोहित शर्मा 2011 का वर्ल्ड कप नहीं खेल सके थे. भारत में हुए उस टूर्नामेंट की भारतीय टीम में वह चुने जाने के दावेदार थे लेकिन जगह नहीं बना पाए थे. रोहित शर्मा ने इसको लेकर काफी निराशा जाहिर की थी. उनका उस समय किया गया ट्वीट आज तक शेयर किया जाता है. अब जब रोहित टीम इंडिया को 2023 वर्ल्ड कप फाइनल में ले गए हैं तब फिर से 12 साल पहले के टूर्नामेंट का जिक्र होना लाजमी है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल से पहले उनसे इस बारे में पूछा भी गया. भारतीय कप्तान ने बड़ी शांति से इसका जवाब दिया और कहा कि वह इमोशनल दौर था. अब उस बारे में सोचने का मतलब नहीं.

 

रोहित ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'मैं फिर से वहां नहीं जाना चाहता. वह काफी भावुक समय था. बहुत मुश्किल था और सबको इस बारे में पता है. मैं इस समय काफी खुश हूं कि टीम की फाइनल में कप्तानी कर रहा हूं. मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा लेकिन अगर आप चाहते हैं और सपने देखते हैं तो ऐसी चीजें होती हैं. मैं यहां बहुत खुश हूं, मुझे इसकी अहमियत पता है लेकिन मैं इसे शांत, संयमित और साफ रखना चाहता हूं. 2011 में जो हुआ और अभी क्या हो सकता है उसके बारे में सोचकर ज्यादा इमोशनल नहीं होना चाहता.'

 

रोहित ने आगे कहा कि वह टीम के बाकी खिलाड़ियों के लिए भी इसी तरह का माहौल तैयार कर रहे हैं. उन्होंने बताया, 'मैं उसी तरह का माहौल बनाना चाहते हैं जो उन्होंने यह वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले अपने लिए बनाया था. हम सब अच्छे मूड में हैं. मैं इसे ही बनाए रखना चाहता हूं. न ज्यादा ऊपर और न ज्यादा नीचे. सही और संतुलित.'

 

 

रोहित ने कहा- लोग कहते हैं, 200 बनाओ, पांच विकेट लो

 

रोहित ने बताया कि टीम के खिलाड़ियों पर वर्ल्ड कप के दौरान काफी दबाव है. लगातार लोग कुछ कुछ कहते रहते हैं. उन्होंने कहा, 'ये लोग काफी अनुभवी है. हां, ज्यादातर ने फाइनल नहीं खेला लेकिन भारत के लिए खेलना किसी वर्ल्ड कप खेलने जैसा ही है. इतना ज्यादा प्रेशर है, इतनी उम्मीदे हैं. लोग कहते रहते हैं कि यह करो, वह कहो, 200 बनाओ, पांच विकेट लो. हर समय आपके दिमाग में यह होता है. इन दिनों लड़कों ने हेडफोन लगाना शुरू कर दिया है ताकि इन सबसे दूर रह सके. लेकिन हां हमने अभी तक की यात्रा का आनंद लिया है. अब केवल फाइनल बचा है.'

 

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