गौतम गंभीर जब से टीम इंडिया के हेड कोच बने हैं, तब से परिणाम उनके पक्ष में नहीं रहे. न्यूजीलैंड के हाथों घर में व्हाइटवॉश हो गया. फिर ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में हार मिली. इन परिणामों ने गंभीर पर सवाल खड़े कर दिए थे. उनकी आलोचना होने लगी थी. ये आलोचनाएं उस वक्त और बढ़ गई, जबक पिछले महीने भारत को इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स टेस्ट में हार मिली. हालांकि इस सप्ताह की शुरुआत में ओवल में छह रनों की शानदार जीत के बाद एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी को 2-2 से ड्रॉ कराने के साथ गंभीर को लेकर खड़े हो रहे सवाल कुछ हद तक कम हुए हैं.
गौतम गंभीर का न्यूज़ीलैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज़ में प्रदर्शन बेहद साधारण रहा. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी उनका प्रदर्शन खराब रहा. अब, मुझे लगता है कि उन्होंने टीम की कमान संभाल ली है. यह टीम उनकी चुनी गई है, यह एक युवा टीम है. शुभमन के साथ वह इस टीम की शक्ति हैं.
कार्तिक ने तर्क दिया कि भारत की डिफेंसिव लाइन-अप ने यह सुनिश्चित किया कि भारत तब भी नहीं हारेगा, जब वे मैच जीतने की स्थिति में नहीं होंगे.
मुझे लगता है कि वह एक चीज कर सकते हैं, क्या वह 20 विकेट लेने को लेकर उतने ही गंभीर हैं, जितना कि वह बल्लेबाजी में गहराई को लेकर हैं? वह एक बेहतरीन व्हाइट-बॉल कोच हैं और इसके नतीजे हम देख सकते हैं, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में वह काम करते हुए भी सीख रहे है. वह एक युवा कोच हैं. उन्होंने ज़्यादा पांच दिवसीय मैचों में कोचिंग नहीं और ना ही ज़्यादा घरेलू क्रिकेट में ऐसा किया, जिससे उन्हें इतना अनुभव हो. हमें नहीं पता कि वह ड्रेसिंग रूम में क्या बोलते हैं, लेकिन वे जोश से भरे युवा खिलाड़ियों की टीम है.
कार्तिक ने आगे कहा-
आप लगभग यह कह सकते हैं कि उन्होंने ऐसी टीम चुनी है जो हारने वाली नहीं है. अब वह अपनी राह पर चल रहे हैं, इसलिए भारतीय टीम में जो कुछ भी होगा, उसके लिए वह ज़िम्मेदार होंगे. अगर टीम अच्छा प्रदर्शन करती है, तो क्रेडिट उन्हें जाता है. अगर टीम अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है, तो उन्हें हाथ उठाकर कहना चाहिए कि हमने गलती की है.