रबिन्द्र रॉबिन सिंह..., भारतीय क्रिकेट के इतिहास में दर्ज वो नाम, जो एमएस धोनी से पहले हर दबाव से निपटना जानता था. जिसे पता था कि मुश्किल परिस्थिति में भी नंबर सात पर बैटिंग करते हुए टीम को कैसे जीत दिलाई जाती है. जिसने अपने खेल से हर हिन्दुस्तानी के दिल में अलग जगह बना ली. वो भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले वेस्टइंडीज में जन्में पहले खिलाड़ी थे. रॉबिन आज पूरे 61 साल के हो गए हैं.
14 सितंबर 1963 को त्रिनिदाद में जन्में रॉबिन ने एक टेस्ट और 136 वनडे मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने 1998-99 में हरारे में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेले अपने इकलौते टेस्ट में 15 और 12 रन बनाए थे. उन्हें कोई विकेट भी नहीं मिला था. वहीं 136 वनडे में उन्होंने एक सेंचुरी और 9 हाफ सेंचुरी समेत कुल 2336 रन बनाए थे और 69 विकेट भी लिए थे. उन्होंने 1997 में कोलंबो में श्रीलंका के खिलाफ सेंचुरी लगाई थी. वहीं 1999 वर्ल्ड कप में 31 रन पर पांच विकेट लेकर श्रीलंका को हरा दिया था.
सात साल तक टीम से रहे बाहर
रॉबिन ने साल 1989 में पॉर्ट ऑफ स्पेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत के लिए वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया था. उन्होंने दो मैच खेले थे. दोनों मैचों में वो मुश्किल परिस्थिति में सातवें नंबर पर बैटिंग करने उतरे थे. इस सीरीज के बाद उन्हें टीम इंडिया से बाहर कर दिया गया था. इसके अगले सात साल वो घरेलू क्रिकेट खेले. साल 1996 में रॉबिन की टीम में वापसी हुई थी और इसके बाद वो टीम के नियमित सदस्य बन गए. उन्हें मिडिल से लोअर बैटिंग, मिडियम पेस बॉलिंग और फील्डिंग स्किल्स के लिए जाना जाता था.
साल 2004 में संन्यास लेने के तुरंत बाद रॉबिन ने अपना कोचिंग करियर शुरू किया. वो भारतीय जूनियर और ए टीम के कोच बने. जहां उन्होंने गौतम गंभीर और रॉबिन उथप्पा जैसे क्रिकेटर्स को तैयार किया. साल 2007 में वो टीम इंडिया के फील्डिंग कोच बने. वो आईपीएल में डेक्क्न चार्जर्स के पहले मुख्य कोच नियुक्ति हुए थे. रॉबिन ने कैरेबियन प्रीमियर लीग, बांग्लादेश प्रीमियर लीग, श्रीलंका प्रीमियर लीग में भी कोचिंग दी.
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