IND vs AUS : आउट दिए जाने पर गुस्साए कोहली, ड्रेसिंग रूम में भी जताई नाराजगी, भड़के गंभीर ने कहा - उनका कोई हक नहीं...

भारत और ऑस्ट्रेलिया (India vs Australia) के बीच चार टेस्ट मैचों की सीरीज का दूसरा टेस्ट मैच दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में खेला जा रहा है. 

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भारत और ऑस्ट्रेलिया (India vs Australia) के बीच चार टेस्ट मैचों की सीरीज का दूसरा टेस्ट मैच दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में खेला जा रहा है. जिसमें भारत की पहली पारी के दौरान टीम इंडिया के पूर्व कप्तान विराट कोहली को जैसे हो आउट दिया गया. वह काफी गुस्से में नजर आए और ड्रेसिंग रूम में भी उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की. इस तरह आउट होने के बाद कोहली की नाराजगी पर टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी गौतम गंभीर भड़क उठे और कहा कि कोहली को इस तरह से गुस्सा होने का कोई हक़ नहीं है.


दरअसल टीम इंडिया की पारी के 50वें ओवर में ऑस्ट्रेलिया के लिए डेब्यू टेस्ट मैच खेलने वाले मैथ्यू कुह्नमैन गेंदबाजी कर रहे थे. उनकी फिरकी को कोहली भांप नहीं सके और गेंद बल्ले के काफी करीब से होते हुए विकेट के सामने कोहली के पैड पर लगी. इस पर मैदानी अंपायर ने कोहली को आउट दे दिया था. हालांकि कोहली ने रिव्यू लिया. इसके बाद हर एक एंगल से देखने के बाद थर्ड अंपायर कन्फ्यूज हो गया और कुछ भी क्लीयर नहीं पता चल रहा था. जिससे बेनिफिट ऑफ़ डाउट यानि संदेह के चलते मैदानी अंपायर के फैसले को सही ठहराया गया और कोहली आउट हो गए. आईसीसी के नियम के तहत संदेह के मामले पर सॉफ्ट सिग्नल को सही ठहराया जाता है.

 

ड्रेसिंग रूम में भी गुस्से में दिखे कोहली 


इस तरह कोहली को 84 गेंद में चार चौके से 44 रन बनाकर पवेलियन जाना पड़ा. हालांकि कोहली गुस्से में पवेलियन गए और उसके बाद ड्रेसिंग रूम में भी वह नाराज नजर आए. जिसका वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा था. इसी दौरान स्टार स्पोर्ट्स पर कमेंट्री करने वाले गौतम गंभीर ने कहा, "विराट कोहली को किसी तरह का अधिकार नहीं है कि वह ड्रेसिंग रूम में जाकर इस तरह की नाराजगी जाहिर करे. अगर यही फैसला ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जाता तो वह ड्रेसिंग रूम में इस तरह की हरकत नहीं करते."

 

 

 

गंभीर ने आगे कहा, "कोहली का विकेट काफी करीबी फैसला था. अभी तक साफ़ नहीं है कि वह आउट थे या नहीं. ग्मेरे हिसाब से गेंद पहले पैड पर लगी थी. लेकिन मैं 100 प्रतिशत सही नहीं हो सकता हूं. जब हमारे लिए ये इतना मुश्किल भरा फैसला है तो मैदानी अंपायर नितिन मेनन के लिए भी काफी मुश्किल भरा रहा होगा. थर्ड अंपायर तकनीक का इस्तेमाल करने के बावजूद फैसला नहीं ले सका."

 

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