Sarfaraz Khan Career: भारतीय टेस्ट टीम में आखिरकार लंबे इंतजार और हजारों रन बरसाने के बाद सरफराज खान को जगह मिल गई. इंग्लैंड के खिलाफ विशाखापटनम में होने वाले दूसरे टेस्ट के लिए उन्हें चुना गया. इस युवा बल्लेबाज को लंबे समय में टीम इंडिया में चुने जाने की मांग हो रही थी और यह खिलाड़ी भी हर सीजन में फर्स्ट क्लास में रन बरसाकर लगातार सेलेक्शन का दरवाजा खटखटा रहा था. घरेलू फर्स्ट कलास क्रिकेट में रन बनाने के बाद कहा गया कि वे इंडिया ए के लिए अच्छा नहीं कर रहे हैं. इस वजह से भारतीय टीम का टिकट उन्हें नहीं मिल रहा. हालियाा समय में उन्होंने यह शिकायत भी दूर की. साउथ अफ्रीका दौरे पर उन्होंने अर्धशतक बनाया. फिर इंग्लैंड लॉयंस के खिलाफ घरेलू सीरीज के दूसरे मुकाबले में 89 गेंद में शतक ठोका और 161 रन की मैच जिताऊ पारी खेली. बाकी का काम केएल राहुल और रवींद्र जडेजा के बाहर होने से खाली हुई जगह ने कर दिया. अब सेलेक्टर्स के पास सरफराज को नहीं चुनने का कोई बहाना/वजह नहीं थी.
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सरफराज खान अंडर 19 क्रिकेट से सुर्खियों में आए थे. वे उन आखिरी खिलाड़ियों में से हैं जिन्होंने दो बार अंडर 19 वर्ल्ड कप भारत के लिए खेला है. 2016 में अपने आखिरी वर्ल्ड कप में उन्होंने भारत के लिए सर्वाधिक रन बनाए थे. इसके बाद वे जल्द ही आईपीएल टीमों का हिस्सा बन गए. यहां पर आरसीबी ने उन्हें 2018 आईपीएल से पहले विराट कोहली और एबी डिविलियर्स जैसे सितारों के साथ रिटेन कर चौंकाया था. लेकिन वे भरोसे पर खरे नहीं उतर पाए और रिलीज कर दिए गए. आरसीबी से रिलीज किया जाना सरफराज के लिए बड़ा झटका था. इससे उनकी काबिलियत पर प्रश्न चिन्ह लगा. कहा गया कि वे विश्व स्तरीय गेंदबाजों का सामना नहीं कर सकते. बाद में पंजाब किंग्स और दिल्ली कैपिटल्स जैसी आईपीएल टीमों का हिस्सा रहे लेकिन अभी तक इस टूर्नामेंट में छाप नहीं छोड़ पाए.
क्रिकेट की वजह से छूटी पढ़ाई
सरफराज के पिता नौशाद क्रिकेट के जाने माने कोच हैं. उन्होंने इकबाल अब्दुल्ला और कामरान खान जैसे क्रिकेटर्स को कोचिंग दी है. सरफराज को पिता ने ही क्रिकेटर बनाने की ठानी. बचपन से आजाद मैदान उनका दूसरा घर बन गया. लगातार क्रिकेट खेलने से स्कूल दूर होता गया. चार साल तक वे इसके चलते स्कूल नहीं जा सके. ऐसे में घर पर ही ट्यूटर लगाकर पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था की गई.
मुंबई के लिए रणजी डेब्यू कर गए यूपी
17 साल की उम्र में सरफराज ने 2014 में मुंबई के लिए रणजी डेब्यू किया. लेकिन अगले सीजन में वे यूपी शिफ्ट कर गए. यहां 2019 तक खेले लेकिन केवल 11 फर्स्ट क्लास मैच ही खेलने को मिले. कम मौकों से परेशान होकर 2020 में वे फिर मुंबई आ गया. यहां पहले ही सीजन में उन्होंने तिहरा शतक उड़ाया. यह पारी उनकी पुरानी टीम यूपी के खिलाफ आई. इस सीजन में उन्होंने 900 से ऊपर रन बनाए और तहलका मचा दिया. लेकिन कुछ महीनों बाद जब कोरोना के चलते सब कुछ ठप हो गया. तब सरफराज पिता के साथ गाड़ी में बैठकर उत्तरी भारत में अलग-अलग जगहों पर खेलने के लिए निकल गए ताकि खेलने की लय न टूटे. इसका नतीजा दिखा.
मुंबई में वापसी और रनों की बारिश
मुंबई में वापसी के बाद तो सीजन दर सीजन सरफराज रणजी ट्रॉफी में रन बरसात रहे. हर बार लगता कि अब उन्हें टीम इंडिया में मौका मिला. लेकिन ऐसा होते-होते 2024 आ गया. इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के पहले दो टेस्ट से जब विराट कोहली बाहर हुए तो सरफराज के लिए मौका बना. लेकिन सेलेक्टर्स ने एक और काबिल और घरेलू क्रिकेट की रन मशीन बल्लेबाज रजत पाटीदार को चुना. सरफराज को इंतजार करना पड़ा. इंग्लैंड लॉयंस के खिलाफ पारी ने सरफराज के लिए टीम इंडिया का दरवाजा तोड़ने का काम किया.
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