इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के निवर्तमान चेयरमैन ग्रेग बार्कले ने अफगानिस्तान से द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेलने पर ऑस्ट्रेलिया को हड़काया है. उन्होंने इस रुख को दोगलापन कहा. बार्कले ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया अगर वास्तव में कोई संदेश देना चाहता है तो वह वर्ल्ड कप में अफगानिस्तान से खेलने से इनकार करे. बार्कले का कार्यकाल 1 दिसंबर को समाप्त हो गया. जय शाह अब आईसीसी चेयरमैन हैं. क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने अफगानिस्तान में तालिबान के महिला क्रिकेट को प्रतिबंधित करने पर इस देश के साथ सीरीज खेलने से मना कर दिया लेकिन आईसीसी इवेंट में उसने अफगान टीम के साथ मुकाबले खेले.
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बार्कले ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया पर निशाना साधते हुए कहा, 'अगर आप वाकई में राजनीतिक संदेश देना चाहते हैं तो उनके साथ वर्ल्ड कप में मत खेलो. निश्चित रूप इससे सेमीफाइनल में आपकी जगह खतरे में पड़ सकती है लेकिन उसूल तो उसूल है. आधे-अधूरे उसूल थोड़े ही होते हैं.'
बार्कले ने बताया ICC ने अफगानिस्तान की मेंबरशिप क्यों नहीं ली
बार्कले ने तालिबान के अफगानिस्तान में महिला क्रिकेट को भंग करने के बाद इस देश की फुल टाइम मेंबरशिप नहीं छिनने का बचाव किया. उन्होंने कहा, ‘इसमें अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड की कोई गलती नहीं थी. उनके पास महिला क्रिकेट हुआ करता था. मुझे लगता है कि हमारा दृष्टिकोण सही रहा है. अफगानिस्तान को बाहर निकालना आसान होगा, लेकिन इसमें उनके बोर्ड की कोई गलती नहीं है. वे सिर्फ एक आदेश और कुछ कानून के तहत काम कर रहे हैं. उन्हें बाहर निकालने से वहां की सत्ताधारी पार्टी को कोई फर्क पड़ेगा. भले ही मैं थोड़ा नासमझ हूं लेकिन मुझे लगता है कि क्रिकेट वहां (अफगानिस्तान) पर अच्छा कर रहा है और इससे लोगों को खुशी मिल रही है. बेहतर यह होगा कि इसे जैसा है वैसा छोड़ दिया जाए और उम्मीद रखी जाए कि बदलाव आएगा.’
बार्कले ने बिजी कैलेंडर पर जताई चिंता
बार्कले ने माना कि वर्तमान में जरूरत से ज्यादा क्रिकेट के कारण वह कई बार व्यस्त अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर का भी ध्यान नहीं रख पाते. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है, मैं खेल के शिखर पर हूं और मैं आपको यह नहीं बता सकता कि दुनिया भर में कौन खेल रहा है. श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका के मैच के बारे में मुझे अखबार में पढ़कर पता चला. ऐसे में मुझे लगता है कि हमने अपना दृष्टिकोण खो दिया है. यह खेल के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है. इसमें कुछ गड़बड़ है और कैलेंडर अविश्वसनीय रूप से व्यस्त है. हमारा स्वार्थ ऐसा है कि इन सभी को सुलझाना लगभग असंभव है, क्योंकि कोई भी अपनी फायदे वाली चीजों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है.’