टेस्ट और व्हाइट बॉल क्रिकेट में अलग अलक कोच की नियुक्ति का आइडिया कोई नया नहीं है.कुछ टीमों ने इसे आजमाया है. इंग्लैंड जैसी टीमों के लिए यह कारगर साबित हुआ तो पाकिस्तान जैसी टीम के लिए फ्लॉप साबित हुआ. हालांकि भारतीय टीम ने कभी अलग अलग कोचों की नियुक्ति नहीं की. वो सभी फॉर्मेट के लिए एक कोच के फॉर्मूले पर टिकी हुई है, मगर इंग्लैंड के पूर्व स्पिनर मोंटी पनेसर को यकीन नहीं है कि गौतम गंभीर के साथ यह काम करेगा, जिनके लिए टीम इंडिया के हेड कोच के रूप में अपने कार्यकाल के शुरुआती छह महीने टेस्ट क्रिकेट में भुलाने वाले रहे.
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गंभीर ने पिछले साल जुलाई में राहुल द्रविड़ को रिप्लेस किया था और उनकी कोचिंग में टीम ने 10 टेस्ट मैच खेले, जिसमें सिर्फ तीन जीते, छह गंवाए और एक ड्रॉ रहा. उनकी कोचिंग में भारतीय टीम का घर में पहली बार न्यूजीलैंड ने व्हाइटवॉश किया था. इसके तुरंत बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1-3 से सीरीज गंवा दी.
वहीं दूसरी तरफ टी20 में बतौर भारतीय कोच उनका सफर अजेय है. उनकी कोचिंग में टीम ने सभी छह मैच जीते, मगर अभी वनडे जीतना बाकी है. 50 ओवर फॉर्मेट में भारत ने श्रीलंका के खिलाफ दो मैच गंवा दिए थे, जबकि एक टाई रहा था. गंभीर का टेस्ट के मुकाबले व्हाइट बॉल में रिकॉर्ड शानदार है. मोंटी पनेसर ने बीसीसीआई को टेस्ट और सीमित ओवर क्रिकेट के लिए टीम इंडिया के दो अलग कोच नियुक्त करने की सलाह देते हुए कहा-
मुझे लगता है कि ये अच्छा विकल्प है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार पनेसर को लगता है कि गंभीर मौजूदा स्क्वॉड के कुछ सीनियर प्लेयर्स के साथ खेले हुए हैं, जिनके साथ शायद उनकी राय सही नहीं बैठ पा रही है. जिससे टीम के भीतर मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं. उन्होंने कहा-
मुझे लगता है कि गंभीर के लिए शायद यह वर्कलोड काफी ज्यादा है. वो अभी कोच की भूमिका में आए हैं. कई बार कुछ सीनियर प्लेयर्स के साथ ये मुश्किल हो सकती है, जो वाकई में ये सोच रहे होंगे कि अच्छा, मैं कुछ साल पहले इनका टीममेट था और अब ये हमें बता रहे हैं कि कैसे क्रिकेट खेलना है. ये मुश्किल हो सकता है और उनका ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में रिकॉर्ड बतौर बल्लेबाज ज्यादा अच्छा भी नहीं है.
गंभीर के रिकॉर्ड की बात करें वो ऑस्ट्रेलिया में वो चार टेस्ट खेले हैं, जिसमें 22.62 की औसत से 8 पारियों में 181 रन बनाए. इंग्लैंड में वो पांच टेस्ट खेले, जिसमें 12.70 की औसम से 10 पारियों में 127 रन बनाए. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी टेस्ट गंवाने के साथ ही टीम इंडिया वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल से बाहर हो गई. अब भारतीय टेस्ट टीम के सामने अगली चुनौती पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए इंग्लैंड का दौरा है, जो जून में होगा. पनेसर ने कहा-
गंभीर का ऑस्ट्रेलिया में औसत 23 का है. इंग्लैंड में भी उनका औसत अच्छा नहीं है. वो मूविंग बॉल को अच्छे से नहीं खेले. मुझे लगता है कि चयनकर्ता सोच रहे होंगे कि 'क्या गंभीर कोच के रूप में इसे गंभीरता से ले रहे हैं या हमें उन्हें सिर्फ वनडे और टी20 पर फोकस करने देना चाहिए और शायद वीवीएस लक्ष्मण जैसे किसी व्यक्ति को लाना चाहिए, उदाहरण के लिए (टेस्ट कोच के रूप में)? या गंभीर की मदद के लिए उन्हें बल्लेबाजी कोच के रूप में लाया जाना चाहिए. वो राहुल द्रविड़ के जैसे हैं. वह सभी परिस्थितियों में सफल रहे हैं.
मुझे लगता है कि आपको किसी ऐसे भारतीय दिग्गज की जरूरत है, जिसने सभी परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन किया हो, कोच के रूप में आए, क्योंकि तब आपको स्वाभाविक रूप से सम्मान मिलेगा.
इंग्लैंड के लिए 50 टेस्ट में 167 विकेट लेने वाले पनेसर को लगता है कि खिलाड़ी लक्ष्मण को ज्यादा गंभीरता से लेंगे. लक्ष्मण पहले भी कई बार भारतीय कोच के रूप में दौरे पर जा चुके हैं.
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