पाकिस्तान के साथ चल रही तनातनी के बीच भारत सरकार ने 9 मई को बड़ा फैसला लिया. सरकार ने भारतीय सेना को टेरिटोरियल आर्मी को बुलाने की शक्तियां दी हैं. इसका मतलब है कि जरूरत पड़ने पर थल सेना अध्यक्ष टेरिटोरियल आर्मी से जुड़े सभी अफसरों को बुला सकते हैं. इसके तहत उन्हें गार्ड ड्यूटी दी जा सकती है या फिर उन्हें सेना के साथ काम करने का आदेश दे सकते हैं. टेरिटोरियल आर्मी रुल्स 1948 के नियम 33 के तहत सरकार ने आदेश जारी किया है.
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भारत और पाकिस्तान के बीच कुछ दिनों से लगातार उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर तनाव बना हुआ है. जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकी हमले में 26 लोगों की हत्या के बाद भारत ने कड़े कदम उठाए थे. इसके तहत 6 मई की रात को पाकिस्तान में मौजूद नौ आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए गए थे. यह कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई.
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भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, कांग्रेस नेता सचिन पायलट ऐसे बड़े नाम हैं जो टेरिटोरियल आर्मी का हिस्सा हैं. धोनी सेना के साथ काम भी कर चुके हैं. उन्होंने 2019 में कश्मीर में सेना की विक्टर फॉर्स के साथ 15 दिन सर्विस दी थी. वे 2011 में टेरिटोरियल आर्मी का हिस्सा बने थे. उन्होंने सेना की पैराशूट रेजीमेंट के साथ ट्रेनिंग भी ली थी. वे ऑनरेरी लेफ्टिनेंट के पद पर हैं. वहीं बिंद्रा भी 2011 में टेरिटोरियल आर्मी में शामिल हुए थे. वे सिख रेजीमेंट का हिस्सा बने थे. अब देखना होगा कि क्या सेना टेरिटोरियल आर्मी को बुलाती है.
क्या काम करती है टेरिटोरियल आर्मी
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि टेरिटोरियल आर्मी इंफ्रेंट्री की 32 बटालियन हैं. इनमें से कुछ को अहम सैन्य इलाकों में तैनात किया जाएगा. इन्हें सदर्न, ईस्टर्न, वेस्टर्न, सेंट्रल, नॉर्दर्न और साउथ वेस्टर्न कमांड के तहत ड्यूटी दी जाएगी. टेरिटोरियल आर्मी को नियमित सेना की दूसरी लाइन के रूप में देखा जाता है. इसमें वे लोग शामिल होते हैं जिन्होंने खुद से शामिल होने की इच्छा जताई और फिर आपात स्थिति के लिए सैन्य प्रशिक्षण लिया है.
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