टीम इंडिया के दरवाजे हुए बंद तब जाकर हटी बल्‍ले पर लगी जंग, भारतीय बल्‍लेबाज ने खेली ताबड़तोड़ पारी

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नई दिल्ली। भारत में इंडियन प्रीमियर लीग आने से कई युवा टैलेंट की खोज हुई है. इसमें से कुछ तो टीम इंडिया का हिस्सा भी हैं. ऐसे में टीम इंडिया के बल्लेबाज मनीष पांडे भी अपने करियर में ठीक यही सब देख चुके हैं. पांडे को आज भी एक ऐसे क्रिकेटर के रूप में याद किया जाता है जो आईपीएल में शतक लगाने वाले पहले भारतीय हैं. कर्नाटक की तरफ से रणजी खेलने वाले पांडे की आईपीएल में शतक लगाते ही किस्मत बदल गई थी, उस दौरान पांडे की उम्र मात्र 19 साल थी. लेकिन आज इस बल्लेबाज के लिए टीम इंडिया में एंट्री के सभी दरवाजे बंद हो चुके हैं. कारण है, लगातार नए बल्लेबाजों का टॉप प्रदर्शन करना तो वहीं पांडे का फ्लॉप रहना. मनीष पांडे को भारतीय टीम में कई मौके मिले लेकिन वो उसे भुनाने में कामयाब नहीं हो पाए. विजय हजारे ट्रॉफी में पांडे लगातार फेल हो रहे हैं लेकिन आज बंगाल के खिलाफ एक बार फिर उनका पुराना फॉर्म देखने को मिला. 


बंगाल के खिलाफ 90 रनों की धांसू पारी
कर्नाटक और बंगाल के बीच चल रहे विजय हजारे ट्रॉफी में मनीष पांडे का बल्ला 4 मैचों के बाद जाकर बोला है. पुडुचेरी के खिलाफ पांडे ने विजय हजारे ट्रॉफी का ठीक-ठाक आगाज किया था और पहले ही मैच में 64 रनों की पारी खेली थी लेकिन इसके बाद तमिलनाडु के खिलाफ 40, मुंबई के खिलाफ 5 और अंत में बड़ौदा के खिलाफ 19 रनों की पारी ने एक बार फिर उन्हें संकेत दे दिया था कि वो खराब दौर से गुजर रहे हैं. आज बंगाल के खिलाफ मनीष पांडे ने आलोचकों का मुंह बंद करवाते हुए ताबड़तोड़ 90 रनों की पारी खेल दी. कप्तानी पारी खेलते हुए उन्होंने 85 गेंदों में 4 छक्के और 4 चौकों की मदद से 90 रनों की पारी खेली. इस पारी की बदौलत टीम ने 50 ओवरों में 252 रन बनाए. मनीष पांडे को छोड़कर बाकी का कोई भी बल्लेबाज अपने बल्ले से कमाल नहीं दिखा पाया.

 

कर्नाटक की तरफ से रविकुमार समर्थ और रोहन कदम ओपनिंग के लिए आए. दोनों बल्लेबाजों ने टीम को अच्छी शुरुआत नहीं दी. रविकुमार जहां 17 तो वहीं कदम भी 37 रन बनाकर आउट हो गए. इसके बाद कृष्णमूर्ति सिद्धार्थ भी 1 रन पर पवेलियन लौट गए. टीम 92 रनों पर ही टॉप 3 विकेट गंवा चुकी थी. इसके बाद पांडे ने पारी को संभाला और ताबड़तोड़ 90 रन बना दिए. लेकिन इसके बाद न तो करुण नायर, न ही श्रीनिवास शरथ और न ही कोई और बल्लेबाज टीम को बड़े स्कोर को ले जा पाया. 192 रनों के कुल स्कोर पर पांडे का विकेट गिरा. इसकेबाद सिर्फ प्रवीण दुबे ने ही 37 रन बनाए. टीम इस तरह 8 ओवरों में सिर्फ 252 रन ही बना पाई.

 

मुश्ताक अली में भी फेल रहे थे पांडे
सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के अगर 5 मैचों की बात करें तो इस दौरान भी मनीष पांडे का बल्ला पूरी तरह खामोश रहा था. उन्होंने 5 मैचों में 3,32,4,29 और 54 रनों की पारी खेली थी. फाइनल मुकाबले में भी पांडे का बल्ला फेल रहा और वो सिर्फ 13 रन बनाकर ही वो पवेलियन चले गए. ऐसे में अंत में तमिलनाडु की टीम इस बार मुश्ताक अली ट्रॉफी का खिताब अपने नाम करने में कामयाब रही. 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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