भारत में चौथी बार हॉकी वर्ल्ड कप का आयोजन हो रहा है. साल 2023 से पहले 2018 में ओडिशा में ही वर्ल्ड कप खेला जाएगा. उस समय एकबारगी तो टूर्नामेंट के आयोजन पर संकट के बादल मंडरा गए थे. इसकी वजह थी- वर्ल्ड कप की ट्रॉफी. इस ट्रॉफी पर जो दुनिया का नक्शा बना हुआ था उसमें जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान में दिखाया गया था. इसके चलते हॉकी इंडिया ने ऐतराज जताया था. हॉकी इंडिया और भारतीय ओलिंपिक एसोसिएशन के पूर्व मुखिया नरिंदर बत्रा ने इस बात का खुलासा किया था. उन्होंने इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन (FIH) से नक्शे में बदलाव करने को कहा था. ऐसा नहीं करने पर भारत में ट्रॉफी को नहीं आने देने की धमकी दी थी.
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इंडियन एक्सप्रेस ने नरिंदर बत्रा के हवाले से लिखा, '2016 में FIH का का प्रेसीडेंट बनने के बाद मैंने ट्रॉफी में सुधार पर जोर दिया. मैंने FIH से कहा कि न तो मैं 2018 वर्ल्ड कप के दौरान ट्रॉफी दूंगा और न ही किसी भारतीय नेता को ऐसा करने दूंगा. मैं यह भी तय करूंगा कि भारतीय कस्टम इस ट्रॉफी को ओडिशा ले जाने के लिए क्लियर नहीं करें.' बाद में इस ट्रॉफी में 2017 में सुधार किया गया. तब इसमें केवल महाद्वीप ही दिखाए गएऔर देशों की सीमाओं को मिटा दिया गया.
पाकिस्तानी आर्मी ने बनाई थी ट्रॉफी
इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन ने भी 2017 में ट्रॉफी में किए गए बदलावों की पुष्टि की लेकिन यह नहीं बताया कि कौनसे बदलाव हुए. ट्रॉफी सोने और चांदी से बनी हुई है. इसमें ग्लोब दिखाया गया है. उसके ऊपर हॉकी बॉल और स्टिक बनी है. इस ट्रॉफी को पाकिस्तान हॉकी के पूर्व प्रेसीडेंट नूर खान ने तैयार कराया था. इसे 1971 में पाकिस्तान में ही बनाया गया था. बशीर मूजीत इसके डिजाइनर थे और पाकिस्तानी सेना की इलेक्ट्रिकल व मैकेनिकल इंजीनियर कोर के सदस्यों ने बनाया था. फिर इसे बेल्जियम में पाकिस्तान के राजदूत ने इंटरनेशनल हॉकी के तत्कालीन प्रेसीडेंट रेनी फ्रेंक को दिया गया था. कई दशक बाद 2018 में बेल्जियम ने पहली बार हॉकी वर्ल्ड कप जीता.
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