कबड्डी... मिट्टी से जुड़ा खेल, नसों में बहता रोमांच, गांव और शहरों के बीच की खाई भरने की गजब कहानी

साल 2014 में प्रो कबड्डी लीग (PKL) की शुरुआत ने इस खेल को अपने पर फैलाने के लिए नया आसमान दिया. इसके बाद तो धैर्य, रणनीति और साहस का ये खेल हर किसी के दिलों के भीतर तक पहुंच गया.

Profile

SportsTak

SportsTak-Hindi

Highlights:

प्रो कबड्डी लीग (PKL) भारत में क्रिकेट के बाद दूसरा सबसे ज्यादा देखा जाने वाला खेल आयोजन बन गया. 

प्रो कबड्डी लीग (PKL) का पांचवां सीजन आते-आते टीमों की संख्या 8 से बढ़ाकर 12 कर दी गई जो बताता है कि इस लीग को दर्शकों ने भरपूर प्यार दिया.

कबड्डी, कबड्डी, कबड्डी... ऊपर-नीचे होती खिलाड़ियों की सांसों को चीरकर जब ये आवाज बाहर आती है तो देखने वालों की पलकें झपकना तक भूल जाती हैं. बाज की नजर और चीते सी फुर्ती के साथ जब ये खिलाड़ी अंकों की अपनी खोज पूरी कर लेते हैं तो उनके चेहरे के भाव ऐसे होते हैं जैसे बाहुबली ने माहिष्मति साम्राज्य को दुश्मनों से बचा लिया हो. मिट्टी से जुड़ा, मिट्टी में बढ़ा ये खेल लोगों के लिए सिर्फ मनोरंजन का जरिया भर नहीं है बल्कि इसका रोमांच उनकी नसों में बहता है. 

भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर में गहराई तक उतरा ये खेल शुरुआती समय में भले ही गांवों की सीमा के भीतर ही उड़ान भर रहा था, लेकिन साल 2014 में प्रो कबड्डी लीग (PKL) की शुरुआत ने इस खेल को अपने पर फैलाने के लिए नया आसमान दिया. इसके बाद तो धैर्य, रणनीति और साहस का ये खेल हर किसी के दिलों के भीतर तक पहुंच गया. भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर में गहराई से उतरा ये खेल अब अपने नए सफर पर निकल चुका है.  

कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना...

 

प्रो कबड्डी लीग (PKL) का ये रोमांचक सफर तब शुरू हुआ जब डिज्नीस्टार ने कबड्डी के मीडिया अधिकार खरीद लिए. जिन लोगों को कबड्डी के विस्तार पर विश्वास नहीं था उन्होंने इस निवेश पर सवाल भी उठाए. लेकिन स्टार स्पोर्टस को अपने विजन और इस खेल पर पूरा भरोसा था. ये बात समझना मुश्किल नहीं था कि कबड्डी की अनछुई क्षमता, उसका तेज तर्रार स्वरूप प्राइमटाइम टेलीविजन के लिए एकदम मुफीद रहेगा. लक्ष्य साफ था, वो ये कि जैसे इंडियन प्रीमियर लीग ने क्रिकेट को नए आयाम दिए, उसी तरह पीकेएल भी कबड्डी को प्रोफेशनल स्तर तक पहुंचाएगा. जल्द ही अपनी समृद्ध सांस्कृतिक प्रासंगिकता के साथ कबड्डी अगली पीढ़ी के दिल में जगह बनाने के लिए तैयार थी और गांवों-शहरों के बीच बनी खाई को पाटने के लिए भी. 

भारत में क्रिकेट के बाद दूसरा सबसे ज्यादा देखा जाने वाला खेल बना

 

30 सेकंड की रेड, डू और डाई रेड जैसे नए नियम, कई कैमरा एंगल और रीयल टाइम रीप्ले जैसी सुविधाओं के चलते पीकेएल का पहला सीजन मील का पत्थर साबित हुआ. ये पहली बार था जब इस खेल में खिलाड़ियों की पहचान वैश्विक स्तर पर बननी शुरू हुई और इस चकाचौंध के बाद कबड्डी का हर घर तक पहुंचना भी तय हो गया. इस बात पर मुहर इस फैक्ट ने लगाई कि जल्द ही प्रो कबड्डी लीग (PKL) भारत में क्रिकेट के बाद दूसरा सबसे ज्यादा देखा जाने वाला खेल आयोजन बन गया. 

घर-घर तक पहुंचे कबड्डी के रोलमॉडल

 

प्रो कबड्डी लीग (PKL) ने इस पड़ाव में एक और महत्वपूर्ण काम किया. वो था गांव और शहरों के युवा और उभरते खिलाड़ियों को अपनी चमक बिखेरने के लिए एक ऐसा मंच देने का जहां से वो दुनियाभर में अपनी पहचान बना सकते थे. उन्होंने पहचान बनाई भी. इसी का नतीजा रहा कि प्रदीप नरवाल, राहुल चौधरी और अजय ठाकुर जैसे खिलाड़ी घर-घर में मशहूर हो गए. लोग उन्हें अपना रोल मॉडल मानने लगे. प्रो कबड्डी लीग (PKL) का पांचवां सीजन आते-आते टीमों की संख्या 8 से बढ़ाकर 12 कर दी गई जो बताता है कि इस लीग को दर्शकों ने भरपूर प्यार दिया. गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु ने तो अपने मजबूत फैनबेस भी स्थापित कर लिए. 

दुनियाई कबड्डी में भारत के वर्चस्व पर मुहर

 

साल 2016 में वो ऐतिहासिक पल आया जब भारत ने ईरान को रोमांचक फाइनल में मात देकर कबड्डी विश्व कप अपने नाम किया. इस जीत ने एक बार फिर दुनिया में भारत के वर्चस्व पर मुहर लगा दी. 100 से ज्यादा देशों में प्रसारित इस विश्व कप को अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया समेत सभी जगह पसंद किया गया. कबड्डी के इस फैलते प्रभाव के चलते पीकेएल में ईरान, दक्षिण कोरिया, केन्या और थाईलैंड जैसे देशों के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को भी शामिल किया जाने लगा. 

ओमनी360 कैमरे, ड्रोनशॉट्स और हार्ट मॉनिटर की एडवांस तकनीक

 

कबड्डी के घर-घर तक पहचान बनाने के इस सफर में प्रसारकों और स्टेकहोल्डर्स की भूमिका बेहद अहम रही. भला किसने सोचा था कि कबड्डी जैसे देसी खेल में हमें ओमनी 360 कैमरे, ड्रोनशॉट्स और हार्ट मॉनिटर जैसी एडवांस्ड तकनीक भी देखने को मिलेगी. इससे न सिर्फ दर्शकों को शानदार अनुभव मिला बल्कि छह भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में इसकी कमेंट्री ने सुनिश्चित किया कि ये खेल भारत के हर कोने में पहुंचे. यहां तक कि प्राइम टाइम शेड्यूलिंग ने प्रो कबड्डी लीग (PKL) को अन्य प्रमुख खेलों के साथ प्रतिस्पर्धा करने का मौका भी दिया जिसने भारतीय खेल कैलेंडर में इस लीग की सशक्त मौजूदगी दर्ज कराई. 

साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले खिलाड़ी बने स्टार

 

प्रो कबड्डी लीग (PKL) का कबड्डी खिलाड़ियों पर भी काफी गहरा प्रभाव पड़ा है. साधारण पृष्ठभूमियों से आने वाले ये खिलाड़ी अब स्टार बन चुके हैं. प्रो कबड्डी लीग (PKL) के बाद कबड्डी में पेशेवर करियर बनाने वाले खिलाड़ियों की संख्या में बेशुमार बढ़ोतरी हुई है. आज कबड्डी ने ग्रामीण खेल आयोजन से आगे बढ़कर वैश्विक दर्जा हासिल कर लिया है जिसने एथलीटोंऔर प्रशंसकों की एक नई पीढ़ी को प्रेरित किया है. अपनी असाधारण यात्रा के साथ प्रो कबड्डी लीग (PKL) देश की सबसे सफल लीगों में से एक के रूप में अपनी जगह मजबूत कर रही है. उम्मीद है साल दर साल कबड्डी और उसके रोमांच का ये सफर अपनी हर मंजिल को हासिल करता रहेगा.
 

    यह न्यूज़ भी देखें

    Share