Paris Olympic: लवलीना बोरगोहैन क्वार्टर फाइनल में हारीं, चीनी बॉक्सर ने पीटा, पेरिस ओलिंपिक में भारत बॉक्सिंग में खाली हाथ रहा

भारत को पेरिस ओलिंपिक में बॉक्सिंग में कोई पदक नहीं मिला. लवलीना बोरगोहैन मेडल लाने की आखिरी उम्मीद थी लेकिन वह क्वार्टर फाइनल की बाधा पार नहीं कर सकी.

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Shakti Shekhawat

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लवलीना बोरगोहैन पेरिस ओलिंपिक से बाहर.

लवलीना बोरगोहैन पेरिस ओलिंपिक से बाहर.

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टोक्यो ओलिंपिक की कांस्य पदक विजेता लवलीना दुनिया की नंबर एक बॉक्सर की चुनौती से पार नहीं पा सकीं.

लवलीना बोरगोहैन को क्वार्टर फाइनल में 4-1 से हार का सामना करना पड़ा.

भारत की महिला बॉक्सर लवलीना बोरगोहैन पेरिस ओलिंपिक 2024 के क्वार्टर फाइनल में हार गईं. उन्हें 75 किलो भारवर्ग में  चीन की ली कियान ने 4-1 से हराया. इसके साथ ही भारत को पेरिस ओलिंपिक में बॉक्सिंग में कोई पदक नहीं मिला. लवलीना मेडल लाने की आखिरी उम्मीद थी. अगर वह यह मैच जीत जाती तो सेमीफाइनल में जाती और कांस्य पदक तय हो जाता. लेकिन ऐसा हो न सका. टोक्यो ओलिंपिक की कांस्य पदक विजेता लवलीना दुनिया की नंबर एक बॉक्सर की चुनौती से पार नहीं पा सकीं. 

 

क्वार्टर फाइनल मुकाबले में जजों ने पहले राउंड में 2-3 से लवलीना के खिलाफ फैसला दिया. दूसरे राउंड में भी चीनी बॉक्सर के पक्ष में फैसला गया और वह 3-2 से जीतीं. तीसरे राउंड में लवलीना को सटीक मुक्कों की जरूरत थी. लेकिन ली कियान ने अनुभव का बढ़िया इस्तेमाल किया और कुछ मुक्के भारतीय बॉक्सर को लगाए. लवलीना आखिर तक थक चुकी थी. तीसरा राउंड चीनी बॉक्सर ने 4-1 से अपने नाम किया और इसी अंतर से मैच भी जीता. 

 

 

भारतीय बॉक्सिंग दल रहा खाली हाथ

 

इस बार ओलिंपिक में भारत के कुल पांच बॉक्सर गए थे. इनमें तीन महिला और दो पुरुष थे.  पेरिस ओलिंपिक में केवल लवलीना और निशांत देव ही ऐसे भारतीय बॉक्सर थे जो क्वार्टर फाइनल तक गए थे. निशांत भी क्वार्टर फाइनल में हारे. बाकियों में निकहत जरीन, प्रीति पवार, जैस्मिन लंबोरिया और अमित पंघाल को शुरुआती राउंड्स में ही हार का सामना करना पड़ा. इस तरह भारतीय बॉक्सर पेरिस से खाली हाथ आएंगे.

 

भारत ने टोक्यो में एक मेडल जीता था जबकि इससे पहले रियो में कोई मेडल नहीं मिली था. विजेंदर सिंह ओलिंपिक मेडल जीतने वाले पहले भारतीय बॉक्सर हैं. उन्होंने 2008 बीजिंग ओलिंपिक में ऐसा किया था. इसके बाद 2012 में एमसी मैरी कोम भी कांसा लेकर आई थी. इस परंपरा को टोक्यो में लवलीना ने आगे बढ़ाया था. 

 

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