पेरिस ओलिंपिक 2024 में उज्बेकिस्तान ने इतिहास बना दिया. उसने मुक्केबाजी में पांच गोल्ड मेडल जीते जो ओलिंपिक में पिछले 20 साल में सर्वाधिक है. यह सब तब हुआ जब उज्बेकिस्तान के बॉक्सिंग कोच तुल्किन किलिचेव को पहला गोल्ड जीतने के दौरान कार्डियक अरेस्ट आ गया. फ्लाईवेट कैटेगरी में हसनबॉय दुसमातोव की जीत के बाद यह घटना हुई. ब्रिटेन के टीम डॉक्टर हर्ज सिंह और फिजियो रॉबी लिलिस ने उनकी जान बचाई. भारतीय मूल के हर्ज सिंह ने उन्हें सीपीआर दिया तो लिलिस ने करंट देने वाली मशीन का इस्तेमाल किया ताकि दिल की धड़कन लौट सके. इसके बाद किलिचेव को अस्पताल में भर्ती कराया गया.
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उनके चेलों ने चार मेडल और जीतकर अपने गुरु को शानदार तोहफा दिया. उज्बेकिस्तान ने पेरिस ओलिंपिक में पांच बॉक्सिंग गोल्ड के जरिए क्यूबा की बराबरी की जिसने 2004 में पांच स्वर्ण पदक जीते थे. उज्बेकिस्तान के लिए पेरिस ओलिंपिक में दुसमातोव (51 किलो कैटेगरी) के अलावा, बखोदिर जलोलोव (92 किलो प्लस कैटेगरी), लाजिजबेक मुलोजोनोव (92 किलो कैटेगरी), असदखुजा मुयडिनखुजाएव (71 किलो कैटेगरी) और अब्दुमलिक खालोकोव (57 किलो कैटेगरी) ने गोल्ड जीते. उज्बेक मुक्कबाजों को तीन साल पहले टोक्यो में केवल एक गोल्ड मिला था. तब केवल जलोलोव ही सोना जीत सके थे. हालांकि 2016 रियो ओलिंपिक में उन्होंने तीन गोल्ड हासिल किए थे.
जलोलोव ने कोच के लिए क्या कहा
जलोलोव ने कोच को लेकर कहा, 'वह हमारे लिए कोच या पिता से बढ़कर हैं. उन्होंने हमें बड़ा किया है. उन्होंने हमें पढ़ाया है. उन्होंने हमारे अंदर खेल भावना डाली है. वह दिल से मेरे साथ हैं और मैं उनसे मिलने अस्पताल जाऊंगा. उज्बेकिस्तान के लिए यह इतिहास है और मैं भावुक हूं क्योंकि दो बार ओलिंपिक चैंपियन बनना मेरा सपना था.' जलोलोव ने फाइनल में स्पेन के अयूब घडफा को 5-0 से हराया. वे अब प्रो बॉक्सिंग में जाना चाहते हैं.
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