Tajinderpal Singh Toor: 7 दिन पहले दादी का देहांत, अब तेजिंदर ने 7.26 किलो का गोला 21.77 मीटर दूर फेंक बनाया रिकॉर्ड

भारत के शीर्ष गोला फेंक एथलीट तेजिंदर पाल तूर (Tajinderpal Singh Toor) ने सोमवार (19 जून) को राष्ट्रीय अंतरराज्यीय चैम्पियनशिप के अंतिम दिन 21.

Profile

SportsTak

SportsTak-Hindi

भारत के शीर्ष गोला फेंक एथलीट तेजिंदर पाल तूर (Tajinderpal Singh Toor) ने सोमवार (19 जून) को राष्ट्रीय अंतरराज्यीय चैम्पियनशिप के अंतिम दिन 21.77 मीटर के थ्रो से अपना एशियाई रिकॉर्ड तोड़कर विश्व चैम्पियनशिप के लिए क्वालीफाई किया. पंजाब का प्रतिनिधित्व कर रहे तूर का एशियाई रिकॉर्ड 21.49 मीटर का था जो उन्होंने 2021 में पटियाला में बनाया था. इस 28 साल के एथलीट ने कलिंग स्टेडियम में तीसरे थ्रो में 21.77 मीटर दूर गोला फेंका जो इस सत्र में विश्व में नौंवा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. विश्व चैम्पियनशिप का क्वालीफाइंग मानक 21.40 मीटर का है. उन्होंने एशियाई खेलों के लिए भी क्वालीफाई किया जिसका क्वालीफाइंग मानक 19 मीटर का है. शॉट पुट का वजन 7.26 किलो होता है.

 

एशियाई खेलों के मौजूदा स्वर्ण पदक विजेता तूर ने पहले थ्रो में 21.09 मीटर की दूरी तय की. उनका दूसरा थ्रो फाउल रहा जिसके बाद उन्होंने एशियाई रिकॉर्ड तोड़ दिया. अगले दो प्रयास भी फाउल रहे और उन्होंने अंतिम प्रयास नहीं किया. पंजाब के ही करणवीर सिंह 19.78 मीटर के थ्रो से दूसरे स्थान पर रहे, उन्होंने भी एशियाई खेलों के लिए क्वालीफाई किया. तूर ने कहा, ‘मेरी ट्रेनिंग योजना के अनुसार रही और मैं 21 मीटर की दूरी तय करने के लिये तैयार था. अब मेरी योजना 22 मीटर पार करने की है.’

 

तूर ने पारिवारिक दुख से जूझते हुए यह प्रदर्शन किया. 12 जून को उनकी दादी का देहांत हो गया था. उन्होंने कहा, 'मैं मानसिक रूप से जूझ रहा था क्योंकि मेरी दादी पिछले सोमवार को गुजर गई थी और मैं इसके बावजूद खेल रहा था. पहले तो मेरा यहां आने का मन नहीं था लेकिन सबको यहां आकर खेलना जरूरी था तो खेला. मैं केवल कुछ थ्रो फेंककर जाना चाहता था.'

 

जब थ्रो के बाद आधिकारिक आंकड़े बताए गए तो तूर जोर से चिल्लाए और फिर आकाश की तरफ हाथ उठाकर उन्होंने शुक्रिया कहा. उन्होंने स्पोर्ट्स्टार से कहा, 'जब मुझे पता चला कि रिकॉर्ड टूट गया है तो मैं थोड़ा भावुक हो गया. मेरी आंखें नम हो गईं और मैं अपनी दादी के बारे में सोच रहा था. मैं इस स्पर्धा को दादी को समर्पित करता हूं. जब तक मेरे पास नौकरी नहीं थी तब तक दादी मुझे काफी सपोर्ट किया करती थी. जब मैं कनाडा में था तो वह मुझे पैसे भेजती थीं और काफी मदद करती थीं. तब मेरे पास स्पॉन्सरशिप नहीं थी.'

    यह न्यूज़ भी देखें

    Share