उस्मान ख्वाजा शतक ठोककर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया पर भड़के, 'मुझे कोई सपोर्ट नहीं, कहा गया कि स्पिन खेलना नहीं आता'

ऑस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा (Usman Khawaja) भारतीय धरती पर शतक पूरा करने के बाद काफी मुस्कुरा रहे थे.

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ऑस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा (Usman Khawaja) भारतीय धरती पर शतक पूरा करने के बाद काफी मुस्कुरा रहे थे. उन्हें याद नहीं कि वह सैकड़ा जड़ने के बाद कभी इस तरह मुस्कुराए हों. उस्मान ख्वाजा ने भारत दौरे पर कभी भी शतक जड़ने का सपना नहीं देखा था क्योंकि 2013 और 2017 के पिछले दौरों पर वह मैदान में ‘ड्रिंक्स’ ले जाया करते थे. लेकिन इस दौरे पर वह ऑस्ट्रेलिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज साबित हुए. उन्होंने भारत के बेहतरीन आक्रमण का छह घंटे डटकर सामना करते हुए चौथे और अंतिम टेस्ट में पहले दिन स्टंप तक टीम के चार विकेट पर 255 रन में नाबाद 104 रन जोड़े.

 

उनके शब्दों में इसकी खुशी और दर्द को महसूस किया जा सकता था. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मैं एक शतक जड़ने के बाद कभी इतना मुस्कुराया हूं, इसमें भावनाएं थीं. मैंने पहले भी भारत के दो टेस्ट दौरे (2013 और 2017) कर चुका हूं. आठ टेस्ट मैचों में ‘ड्रिंक्स’ लेकर जाता था और इस बार मुझे मौका मिला.’ क्रिकेट आस्ट्रेलिया ने मार्कस नॉर्थ और क्रिस रॉजर्स जैसे सलामी बल्लेबाजों को आजमाने के बाद 36 साल के ख्वाजा को मौका दिया.

 

मुझे कहा गया कि मैं स्पिन नहीं खेल सकता?


ख्वाजा ने कहा, ‘मेरे पूरे करियर के दौरान मुझे कहा गया था कि मैं स्पिन नहीं खेल सकता इसलिये मुझे कभी भी भारत में खेलने का मौका नहीं मिला. इसलिये क्रीज पर जाकर भारत में शतक जड़ना शानदार था क्योंकि पांच साल पहले अगर आपने मुझे पूछा होता तो मैं सोचता कि आप ‘क्रेजी’ हो.’

 

इस्लामाबाद में जन्मे और क्वींसलैंड में पले-बढ़े क्रिकेटर ने कहा, ‘मैंने कभी इसकी (भारत में शतक जड़ने) की उम्मीद नहीं की थी इसलिए काफी भावुक हो गया था.’ तो क्या वह ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट की राय से सहमत थे कि वह स्पिन नहीं खेल सकते तो उन्होंने कहा, ‘शायद कुछ हद तक. लेकिन जब लोग कहना शुरू कर देते हैं तो सोच भी सच्चाई बन जाती है. जब भी मैं स्पिन गेंद पर आउट होता तो लोग कहते कि ‘तुम स्पिन नहीं खेल सकते’. मैंने शायद इस पर विश्वास करना शुरू कर दिया था.’

 

सपोर्ट नहीं मिलने से खफा हुए ख्वाजा


ख्वाजा ने इस बात पर दर्द जाहिर किया कि करियर के शुरुआती सालों में उन्हें ऑस्ट्रेलिया में सपोर्ट नहीं मिला. उन्होंने कहा, 'मुझे उस समय लोगों से मदद नहीं मिली. मुझे महसूस नहीं हुआ कि टीम ने मेरा साथ दिया हो. मुझे नहीं लगता कि कोचिंग स्टाफ और सेलेक्टर्स ने इस सफर के दौरान मेरा सहयोग किया. इससे काफी मुश्किल हुई. पहले मैं था या नहीं लेकिन अब मैं स्पिन बेहतर खेलता हूं. मेरे पास अब ज्यादा शॉट है और बेहतर डिफेंस है. लेकिन करियर की शुरुआत में मुझे यह सब सीखने का मौका नहीं मिला.'

 

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